Dr Archana Suicide Case: राजस्थान में सांकेतिक हड़ताल पर रहे डॉक्टर, मरीज हुए परेशान
Rajasthan News: डॉ अर्चना शर्मा की खुदकुशी (Suicide) मामले में कुछ संगठन हड़ताल खत्म करने पर राजी हो गए हैं तो कुछ अभी भी हड़ताल जारी रखने की मांग पर हैं.
Rajasthan Doctors Symbolic Strike: राजस्थान (Rajasthan) के दौसा (Dausa) जिले में 29 मार्च को निजी हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर अर्चना आत्महत्या प्रकरण अभी थमा नहीं है. डॉक्टर की एसोसिएशन जरूर अलग-अलग निर्णय ले रही है. कुछ संगठन हड़ताल खत्म करने पर राजी हो गए हैं तो कुछ अभी भी हड़ताल जारी रखने की मांग पर हैं. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मामले में जो भी आरोपी थे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और अभी अनुसंधान चल रहा है, आगे भी गिरफ्तारियां हो सकती है. फिलहाल राजकीय और निजी हॉस्पिटल में मरीजों को परेशानी नहीं हो रही है क्योंकि रेजिडेंट ओपीडी में कार्य कर रहे हैं. उदयपुर की बात करें तो यहां रोजाना 4000 की ओपीडी होती है. ये कुछ देर के लिए प्रभावित हुई और फिर चलने लगी.
सांकेतिक हड़ताल की गई
डॉ राजवीर से बात की तो उन्होंने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और राजस्थान मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से धरना लगभग खत्म कर दिया है. सिर्फ एक घंटे के लिए सांकेतिक हड़ताल की गई. शहरों में डॉक्टरों ने काम किया और मेडिमल व्यवस्था प्रभावित नहीं हुई. कल भी इसी मुद्दे पर ऑनलाइन बैठक हुई थी और आज भी संभावना है कि बैठक होगी. हालांकि अभी किसी प्रकार का कोई साफ निर्देश नहीं मिले हैं.
ज्ञापन में कही गई ये बातें
डॉक्टरों ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले ज्ञापन दिया था जिसमें कहा गया था कि, ''दौसा जिले के लालसोट में प्रसूता की दुखद मृत्यु जो एक ज्ञात मेडिकल ऐक्सिडेंट है उस पर हम संवेदना व्यक्त करते हैं. इसी के साथ चिकित्सक डॉ अर्चना शर्मा के अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन कर पैसे की वसूली की गई और स्थानीय प्रशासन व पुलिस ने बजाय डॉक्टर को प्रोटेक्शन देने उनके खिलाफ ही गलत धाराओं में केस दर्ज किया. इस सारे हंगामे, धारा 302 में केस दर्ज होने और पैसे की वसूली को नहीं रोक पाने की प्रशासन की नाकामयाबी को देखते हुए वो भारी मानसिक आघात को सहन नहीं कर पाई और आत्महत्या के लिए मजबूर हुई, ये एक सामाजिक कलंक है. इस घटना का विरोध प्रकट करने के क्रम में सभी चिकित्सा संस्थान, सरकारी एवं प्राइवेट मय इमर्जेंसी बंद की. ज्ञापन में आगे कहा गया कि चिकित्सा समुदाय मांग करता है की दोषी पुलिस अधिकारियों, नेता और पत्रकारों को दबाव डालने और आत्महत्या के लिए विवश करने के लिए गिरफ्तार किया जाए. डॉ अर्चना के पति पर लागू 302 के मुकदमे को तुरंत प्रभाव से हटाकर पुलिस विभाग द्वारा इस गलती के लिए चिकित्सा समुदाय से माफी मांगी जाए. भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावर्ती नहीं हो ये सुनिश्चित कराया जाए.''
जानें पूरा मामला
दौसा जिले के लालसोट स्थित आनंद हॉस्पिटल में एक महिला की प्रसव के बाद ब्लीडिंग होने से मौत हो गई थी. बाद में परिजनों और ग्रामीणों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. मामले में पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया. इसी मुकदमे के कारण तनाव में आकर डॉ अर्चना शर्मा ने आत्महत्या की थी.
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