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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Dungarpur News: डूंगरपुर में पुलिस ने चलाया 'मेरी पुलिस-मेरी दोस्त' अभियान, सरकारी स्कूल की 16 टॉपर छात्राएं बनीं थानाधिकारी!
Meri Police-Meri Dost: डूंगरपुर में 'मेरी पुलिस-मेरी दोस्त' अभियान के तहत शनिवार को 16 थानों में स्कूल की 550 छात्राओं को विजिट कराया गया. इस दौरान सभी ने पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में समझा.
Meri Police-Meri Dost Campaign in Dungarpur: राजस्थान (Rajasthan) के डूंगरपुर (Dungarpur) जिले में एसपी सुधीर जोशी (SP Sudhir Joshi) ने लड़कियों को पुलिस की कार्यप्रणाली समझाने, उनके संकोच-झिझक को दूर करने, खुलकर अपनी बात रखने के लिए प्रेरित करने, पुलिस को अपना दोस्त बताने, नियमित संवाद स्थापित करने के लिए 'मेरी पुलिस-मेरी दोस्त' नाम से अभियान को शुरू किया. इस अभियान के तहत शनिवार को 16 थानों में स्कूल की 550 छात्राओं को विजिट कराया गया. खास बात यह रही कि स्कूलों की टॉपर छात्राओं को थानाधिकारी की कुर्सी पर बैठाकर, उन्हें जिम्मेदारी का एहसास दिलाया गया.
यहीं नहीं 550 छात्राओं को थाने का पुलिसकर्मी भी बनाया गया और जवानों के साथ बैठकर काम किया. छात्राओं ने इस दौरान पुलिस से संवाद स्थापित कर पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में समझा. वहीं पुलिस ने अपनी बात खुल कर रखने, सवाल करने के लिए उनको प्रेरित किया. छात्राओं को एफआईआर दर्ज करने, अनुसंधान करने, वायरलेस चलाने से लेकर कोर्ट तक की कार्रवाई की जानकारी दी गई. अब यह अभियान हर शनिवार को जिले के 16 थानों में चलेगा. अलग-अलग स्कूल की कक्षा 9वीं से 12वीं तक की छात्राओं को विजिट कराया जाएगा.
लड़कियों का संकोच दूर करना है अभियान का मकसद
पहले दिन शनिवार को थाना कोतवाली में देवेन्द्र कंवर उच्च माध्यमिक बालिका स्कूल की कक्षा 9 से 12 तक की 50 छात्राओं ने थाने का भ्रमण किया. इस दौरान डीएम शुभम चौधरी, एसपी सुधीर जोशी, डीएसपी राकेश कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक अमृतलाल कलाल सहित अन्य अधिकारी मौजदू थे. एसपी सुधीर जोशी ने कहा कि 9 वीं से 12 वीं की छात्राएं खुल कर अपनी बात पुलिस के सामने नहीं रख पाती हैं. इनमें संकोच रहता है. अभियान का मकसद यह है कि इनका संकोच दूर हो, पुलिस को अपना साथी और दोस्त माने.
पहले दिन शनिवार को थाना कोतवाली में देवेन्द्र कंवर उच्च माध्यमिक बालिका स्कूल की कक्षा 9 से 12 तक की 50 छात्राओं ने थाने का भ्रमण किया. इस दौरान डीएम शुभम चौधरी, एसपी सुधीर जोशी, डीएसपी राकेश कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक अमृतलाल कलाल सहित अन्य अधिकारी मौजदू थे. एसपी सुधीर जोशी ने कहा कि 9 वीं से 12 वीं की छात्राएं खुल कर अपनी बात पुलिस के सामने नहीं रख पाती हैं. इनमें संकोच रहता है. अभियान का मकसद यह है कि इनका संकोच दूर हो, पुलिस को अपना साथी और दोस्त माने.
थाने के भ्रमण के दौरान किया गया छात्राओं से संवाद
उन्होंने कहा कि 'मेरी पुलिस-मेरी दोस्त' नाम से अभियान को शुरू किया गया है , ताकि पुलिस के प्रति जो भ्रांति है, वह दूर करने के साथ-साथ पुलिस से कार्यप्रणाली को समझ सके और अपनी कोई भी बात हो तो बिना संकोच के पुलिस को बता सके. थाने के भ्रमण के दौरान छात्राओं से संवाद किया गया. उनको जानकारी दी गई कि यदि कोई शिकायत है तो फोन पर सीधे सूचना दे सकते हैं. चाइल्ड हेल्प लाइन, वाट्सऐप पर भी बता सकते हैं. किसी की पहचान उजागर नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि 'मेरी पुलिस-मेरी दोस्त' नाम से अभियान को शुरू किया गया है , ताकि पुलिस के प्रति जो भ्रांति है, वह दूर करने के साथ-साथ पुलिस से कार्यप्रणाली को समझ सके और अपनी कोई भी बात हो तो बिना संकोच के पुलिस को बता सके. थाने के भ्रमण के दौरान छात्राओं से संवाद किया गया. उनको जानकारी दी गई कि यदि कोई शिकायत है तो फोन पर सीधे सूचना दे सकते हैं. चाइल्ड हेल्प लाइन, वाट्सऐप पर भी बता सकते हैं. किसी की पहचान उजागर नहीं होगी.
छात्राओं ने की ये शिकायत
उन्होंने बताया कि पहले दिन का फीडबैक अच्छा रहा. संवाद के दौरान कुछ छात्राओं ने बताया कि हमारे साथ की कुछ लड़कियों के परिवार वालों ने पढ़ाई बंद करवा दी. इसके लिए प्रिसिंपल से नाम लेकर परिजनों को प्रेरित किया जाएगा, ताकि लड़कियां वापस स्कूल से आने लगे. सुरक्षा सखी और महिला कॉन्स्टेबल को भेज कर प्रेरित किया जाएगा. निजी स्कूलों को भी शामिल किया जाएगा. सभी बच्चियों को पुलिस की कार्यप्रणाली से अवगत कराएंगे. इससे पुलिस के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होगी और संकोच दूर होगा. इससे लड़कियों को याद रहेगा कि हम पुलिस से अपनी बात सकते हैं और डरने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने बताया कि पहले दिन का फीडबैक अच्छा रहा. संवाद के दौरान कुछ छात्राओं ने बताया कि हमारे साथ की कुछ लड़कियों के परिवार वालों ने पढ़ाई बंद करवा दी. इसके लिए प्रिसिंपल से नाम लेकर परिजनों को प्रेरित किया जाएगा, ताकि लड़कियां वापस स्कूल से आने लगे. सुरक्षा सखी और महिला कॉन्स्टेबल को भेज कर प्रेरित किया जाएगा. निजी स्कूलों को भी शामिल किया जाएगा. सभी बच्चियों को पुलिस की कार्यप्रणाली से अवगत कराएंगे. इससे पुलिस के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होगी और संकोच दूर होगा. इससे लड़कियों को याद रहेगा कि हम पुलिस से अपनी बात सकते हैं और डरने की जरूरत नहीं है.
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