Rajasthan News: कोटा में देशभर और विदेश के भी बच्चे अपने कॅरियर को बनाने आते हैं, इसमें से अधिकांश सफलता की सीढ़ी चढ़कर देश दुनिया में अपने परिवार, समाज और देश का नाम रोशन करते हैं, लेकिन कुछ बच्चें ऐसे भी हैं जो इस संघर्ष के आगे हार जाते हैं और सुसाइड (suicide) जैसा कदम उठाने का प्रयास करते हैं, ऐसे बच्चों के जीवन को बचाने के लिए राज्य सरकार ने प्रयास किया है. पहले यह प्रयास केवल कोचिंग स्तर पर होता था, जिसमें केवल काउंसलिंग होती थी, लेकिन बच्चा कुछ दिन सही रहने के बाद वापस तनाव के चलते सुसाइड कर लेता था. लेकिन अब यदि बच्चा चिन्हित होता है तो उसकी काउंसलिंग (counseling) होगी साथ ही आवश्यकता हुई तो उसका उपचार भी होगा.
कोचिंग वाले सीधे ला सकेंगे यहां स्टूडेंट
राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुसार कोटा, जोधपुर और जयपुर मेडिकल कॉलेजों में साइकोलॉजिकल काउंसलिंग सेंटर स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान की है. साथ ही, उसके लिए आवश्यक फर्नीचर एवं उपकरणों के क्रय करने की भी मंजूरी दी है. यह सेंटर कोटा कॉलेज या उससे संबद्ध चिकित्सालय में उपलब्ध स्थान पर संचालित किए जाएंगे. प्रत्येक संस्थान के लिए 3 क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, 6 काउंसलर्स, 4 वार्ड बॉय सिक्योरिटी गार्ड, अटेंडेण्ट तथा 2 मशीन विद मैन की सेवाएं अनुबंध पर लेने की स्वीकृति भी प्रदान की गई है. इसके शुरू होने से कोटा के कोचिंग संस्थान को जब लगेगा की कोई बच्चा तनाव में है, स्कोर कम करने से परेशान रहता है तो वह सीधे यहां ला सकेंगे ताकी बच्चें की काउंसलिंग में पता किया जा सके की किस तरह से इसे बचाया जा सकता है. पहले केवल कोचिंग में ही काउंसलिंग कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती थी.
तनाव से दूर रहने के तरीके भी बताएंगे
कोटा मेडिकल कॉलेज के साइकोलॉजिकल काउंसलिंग सेंटर के नोडल आॅफिसर डॉ. विनोद दड़िया ने बताया कि कोटा कोचिंग (coaching) हब होने के कारण देशभर से लाखों विद्यार्थी यहां अध्ययन के लिए आते हैं. पढाई के साथ अन्य कारणों से बच्चा डिपरेशन में चला जाता है और सुसाइड की तरफ अपना कदम बढाता है. ऐसे स्टूडेंट्स के लिए यह सेंटर मददगार बनेगा. इसके साथ ही स्कूल के विद्यार्थियों के अलावा उनके परिजनों की काउंसलिंग भी होगी. कोचिंग व स्कूल जगह उपलब्ध करवाएंगे तो क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट आकर बच्चों की काउंसलिंग भी कर सकेंगे. बच्चों के साथ उनके अभिभावकों की भी काउंसलिंग हो सकेगी, ताकि बच्चे को सही राह मिल सके. यहां पर तनाव से दूर रहने, खुश रहने के तरीके भी बताए जाएंगे. भविष्य में यदि सरकार की तरफ से टेली मेडिसिन के संसाधन उपलब्ध होंगे तो बच्चों की आॅनलाइन काउंसलिंग की यवस्था भी हो सकेगी. जिससे बच्चें को मौके पर ही उपचार व चिन्हित करने का अवसर मिल सकेगा.