(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
48 years of Emergency: इमरजेंसी को याद कर आज भी सिहर उठती हैं BJP सांसद, दिया कुमारी ने बताया क्यों उनकी दादी से नाराज थीं इंदिरा गांधी
Emergency in India: देश में 25 जून 1975 को जब आपातकाल लगा था तो दिया कुमारी की उम्र 3-4 साल थी. आज वो रादसमंद से बीजेपी की सांसद हैं. आपातकाल के किस्से उन्होंने अपनी दादी, पिता और मां से सुने हैं.
MP Diya Kumari on Emergency: आज से ठीक 48 साल पहले 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया गया था. उस दिन को जो भी याद करता है वो सिहर उठता है. मगर, उस आपातकाल में जयपुर की तत्कालीन सांसद गायत्री देवी (Maharani Gayatri Devi) और उनके बेटे सवाई भवानी सिंह (Sawai Bhawani Singh) को तिहाड़ जेल में महीनों रखा गया था. उस दौरान की बातों और यादों को राजसमंद से बीजेपी सांसद दिया कुमारी (Diya Kumari) ने साझा किया. वो उस समय 3-4 साल की थीं. कुमारी बताती हैं कि उन दिनों को कोई याद नहीं करना चाहता. बेहद ही डरावना समय था. जब हमारी दादी सा और पिता जी को महीनों जेल में रहना पड़ा था. मैं दादी और पिता जी से मिलने जेल जाया करती थी.उन्होंने बताया कि लोकतंत्र में उससे भयानक और कष्टकारी कुछ नहीं हो सकता है. इस बात को लेकर आज भी मेरे मन में रोष है.
कुछ ऐसे थे वो दिन
सांसद दिया कुमारी बताती हैं,''मेरे मन में आज भी उस बात को लेकर रोष है.वर्ष 1975 से 1977 के बीच रहे आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने राजनैतिक विरोधियों को जेल की सलाखों के पीछे बंदी बना दिया था.इनमें मेरे पूज्य पिताजी महावीर चक्र विजेता सवाई भवानी सिंह भी थे.उन्होंने भारतीय सेना में 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपनी बटालियन का कुशल नेतृत्व और असाधारण शौर्य का प्रदर्शन किया था. देश सेवा में उन्होंने अपने शौर्य और युद्ध कौशल की परंपरा का निर्वाह किया था.ऐसे देशभक्त को जेल का मुंह देखना पड़ा था. वह चार महीने तक आम बंदी की तरह बिना किसी खास व्यवस्था के जेल में रहे. उन्हें नवंबर 1975 में रिहा किया गया था.
इंदिरा गांधी ने मेरे पिता की ही तरह मेरी दादीसा राजमाता गायत्री देवी को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. मेरी दादीसा 1947 से पूर्व तत्कालीन जयपुर रियासत की महारानी थी. जब उन्हें जेल भेजा गया था तो वो जयपुर की सांसद थीं. इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा और महिला उत्थान के लिए अग्रणीय कार्य किए थे. युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई खेल मैदान भी बनवाए थे, उनका पहला चुनाव रिकॉर्ड रहा है. जिसमें उन्हें सबसे अधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड है. इसके बाद भी उन्हें जेल में रखकर प्रताड़ित किया गया था.
दादी के साथियों को भी परेशान किया
दिया कुमारी बताती हैं कि कोई भी उस समय को याद नहीं करना चाहेगा. जब मेरी मां महारानी पद्मिनी देवी जेल में दादी और पिता से मिलकर आती और उनकी बातों को सुनकर बड़ा दुःख होता था. वो ऐसा समय था जो कभी नहीं आना होना चाहिए. इंदिरा गांधी ने अपने आप को बचाने के लिए देश के निर्दोष लोगों को सजा दी.यह एक बेहद गलत कदम था.जिसे देश कभी नहीं भूल सकता. जिन लोगों को उस समय जेल में बंद किया गया था और उनपर बहुत सारी धाराएं लगाई गई थी.यह सब बहुत सालों तक चलता रहा.लोग उन मामलों में परेशान रहे.वो एक काला समय था.अब हालात बदल गए हैं.अब प्रजातंत्र में असल आजादी है.बिना किसी कारण के मेरे पिता जी पर धाराएं लगाई गईं थीं.
क्या राजमाता गायत्री देवी की जीत से परेशान थीं इंदिरा गाँधी
दिया कुमारी बताती हैं कि मेरी दादी सा ने जयपुर से स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बनाया था.इंदिरा गाँधी जी को यह पसंद नहीं था. उन्होंने उस दौरान जेल में हमारी दादी गायत्री देवी को बहुत परेशान किया.जिस बैरक में हार्डकोर अपराधी रखे जाते हैं, उसी में उन्हें रखा गया था. काल कोठरी की तरह थी वो बैरक.उस दौरान जेल में उनके साथ बेहद खराब बर्ताव किया गया था. उस बैरक में मच्छर भी खूब हुआ करते थे.दादी सा बताती थीं कि उस समय उनके साथ किया गया व्यवहार बेहद ही खराब था.
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