Bharatpur: कांग्रेस के पूर्व मंत्री का BJP पर निशाना, कहा- 'एक महीने बीते, अभी तक मंत्रियों के विभाग तय नहीं'
Rajasthan: पूर्व राज्यमंत्री व रालोद के विधायक डॉ.सुभाष गर्ग ने कहा की काफी लंबे समय बाद तो मंत्रिमंडल का गठन हुआ. गठन भी हो गया पांच दिन हो गए अभी तक मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं पाया है.
Rajasthan News: राजस्थान की विधानसभा चुनाव का परिणाम आए हुए एक महीना गुजर गया है. भारतीय जनता पार्टी अभी तक मंत्रियों के लिए विभागों का बंटवारा भी नहीं कर पाई है. विधानसभा चुनाव का परिणाम तीन दिसंबर को आया था और मुख्यमंत्री ने 15 दिसंबर को शपथ ली थी उसके बाद काफी समय मंत्री मंडल के गठन में लग गया. 27 दिन में मंत्री मिले लेकिन अब मंत्रियों के पास कोई विभाग नहीं है मंत्री क्या करें.
मुख्यमंत्री के लिए पूर्व मंत्री ने दिखाई सहानुभूति
कांग्रेस सरकार में रहे राज्य मंत्री और रालोद के विधायक डॉ.सुभाष गर्ग दो दिवसीय दौरे पर भरतपुर पहुंचे. उन्होंने वार्ता करते हुए कहा की मुझे भी बड़ी सहानुभूति है माननीय मुख्यमंत्री जी से की काफी लंबे समय बाद तो मंत्रिमंडल का गठन हुआ गठन भी हो गया 5 दिन हो गए अभी तक मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं पाया है. उन्होंने कहा कि जनता बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही है की सरकार काम करना कब शुरू करेगी. अगर देखा जाए तो सभी अधिकारी और कर्मचारी मूकदर्शक बनकर बैठे हुए हैं काम नहीं हो पा रहा है. कुछ अधिकारी ट्रांसफर का इंतजार कर रहे हैं कुछ सरकार के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं. विभाग का मंत्री कौन होगा प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए जो गति आनी चाहिए थी वह गति नहीं आई है. पूर्व मंत्री डॉ. गर्ग ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं केंद्र की बीजेपी पार्टी दिशा निर्देश देगी की जल्दी से जल्दी विभागों का बंटवारा हो जिससे मंत्री लोग अपना काम करना शुरू करें. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है दो उप मुख्यमंत्री ने भी मुख्यमंत्री के साथी शपथ ली गई थी लेकिन उनके पास भी कोई विभाग के काम का जिम्मा नहीं दिया गया है.
भाजपा सरकार ने 100 दिन की कार्य योजना की बात कही थी, 30 दिन गुजर गए अब 70 दिन में कैसे कार्य योजना तैयार होगी अभी तक कोई खाका नहीं खींच पाए हैं. अब इंतजार है कब मंत्री को विभागों का बंटवारा हो जिससे हम लोगों की समस्या के लिए मंत्रियों से बात कर सके. पिछली सरकार के जो टेंडर हो गए थे वर्क आर्डर हो गए थे वह काम भी रोक दिये है.
कुश्ती संघ को लेकर पूर्व मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा की यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है महिला पहलवानो को सड़क पर आना पड़ा. अपने मैडल्स वापस कर दिये प्रतिभाओं के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए चाहे वो खेल की प्रतिभा हो चाहे वो साइंटिस्ट शिक्षक हो वैज्ञानिक हो जो अपना काम करें उन्हें स्वतंत्र रूप से अपना काम करते रहना चाहिए. लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है पॉलिटिकल जो प्रोटेक्शन मिलता है उसे पॉलिटिकल प्रोटेक्शन की वजह से ही यह चीजें होती है उसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ता है. देश की प्रेस्टेज पर इज्जत पर भी एक क्वेश्चन मार्क आता है.
ईआरसीपी पर दिया बयान
पूर्व राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग मैं कहा कि ईआरसीपी का जो मसौदा यह तैयार कर रहे है जो मैंने पढ़ा है उसमें राजस्थान के हितों को गिरवी रखा जा रहा है और मध्य प्रदेश को फायदा पहुंचाने के लिए उसमें संशोधन किया जा रहा है. पहले जो समझौता हुआ था हमने इस समझौते के अनुसार प्रोजेक्ट बनाकर भेजा है. सरकार प्रदेश के हितों के साथ कुठाराघात किया जा रहा है. संशोधन के नाम पर लेकिन फिर भी हम मांग करते हैं इसको राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाए और जो हमने संशोधन किया था 79 बांधों को जोड़ने का उन सारे बांधों को कवर किया जाए भरतपुर के तीन-चार बांध है उनको भी जोड़ा जाए जिससे भरतपुर को भी फायदा मिल सके.
हिट एंड रन पर बोले डॉ.सुभाष गर्ग
हिट एंड रन कानून पर डॉ.सुभाष गर्ग ने कहा की कोई भी सरकार कानून बनाती है तो चर्चा करने के बाद कानून बनाते हैं. दुर्भाग्य रहा 145 सांसदों को सस्पेंड करने के बाद वह कानून पास करवाए गए जिस पर बहस होनी चाहिए थी. बहस के दौरान लोगों के सुझाव आते हैं कई बार जो कानून आते हैं उनको सेलेक्ट कमेटी को सौंप दिया जाता है. सिलेक्ट कमिटी उस पर डिस्कस करती है क्या इसमें अच्छाइयां हैं क्या बुराइयां है वह कुछ हुआ नहीं यह जो कानून है इसमें भी अगर कोई दुर्घटना होती है. ड्राइवर भाग जाता है तो 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. इस कानून को सोच समझ कर नहीं बनाया गया है डॉ सुभाष कॉलोनी कहां की संसद या विधानसभा में जो भी होती हैं उनमें बिल आता है. जब कानून बनता है उसमें पक्षी या विपक्ष के सांसद या विधायक उसमें एक तार्किक बहस करते हैं. अपने लॉजिक देते हैं उसके आधार पर सरकार कई बार उसे पर विचार भी करती है उसमें अगर ज्यादा डिस्प्यूट होता है तो उसे बिल को सेलेक्ट कमेटी को सौंप दिया जाता है. सेलेक्ट समिति का डिस्कस करती है तब कुछ निकाल कर आता है केंद्र सरकार को आमजन की भावना को ध्यान में रखते हुए या जो लोग प्रभावित हो रहे हैं उन लोगों से बात करते हुए कानून बनाए तो अच्छा रहता.
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