(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan Liquor Policy: 3 महीने के लिए शराब बेचने का लाइसेंस दे रही सरकार, बस पूरी करनी होगी ये शर्त
राजस्थान का आबकारी विभाग अब तक एक साल तक शराब बेचने के लिए लाइसेंस देता था. लेकिन अब तीन माह तक कोई भी शराब का व्यापार कर सकता है. यह उन व्यापारियों के लिए है जो पहली बार लाइसेंस लेने जा रहे हैं.
Rajasthan Liquor Policy: राजस्थान का आबकारी विभाग (Excise Department of Rajasthan) प्रदेश में सरकार को रेवेन्यू देने में दूसरे पायदान पर आता है क्योंकि यही विभाग ऑफिशियल रूप से शराब को बेचने की अनुमति देता है. इस विभाग की जारी पॉलिसी (Policy) में 3 माह तक शराब बेचने का नियम है जिसे विभाग जोरो-शोरों से आगे ला रहा है. अप्रैल माह में राजस्थान ने फिर से शराब के ठेके नए सिरे से उठने को तैयार होने वाले हैं.
अब तक विभाग से एक साल तक शराब बेचने के लिए लाइसेंस (License) दिए जाते रहे हैं. लेकिन पॉलिसी के आधार पर नई बात सामने आई है कि तीन माह तक कोई भी शराब का व्यापार कर सकता है. जानते हैं यह तीन माह का क्या है नियम.
पहली बार अनुमति ले जाने वाले को मिलेगी 3 माह की अनुमति
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पॉलिसी के आधार पर कोई भी व्यापारी जो होटल का संचालन करता है उन्हें 3 माह तक शराब बेचने का नियम है. जैसे कोई भी व्यापारी उसके 20-50 रूम की होटल में वह शराब बेचना चाहता है तो वह व्यापारी 3 माह का लाइसेंस ले सकता है, उसे पूरे साल की फीस नहीं देनी पड़ेगी. इससे फायदा यह होगा कि सालभर की लाइसेंस की 8 लाख रुपए फीस नहीं देनी पड़ेगी, सिर्फ 2 लाख रुपए देकर वह 3 माह का लाइसेंस ले सकता है.
हालांकि यह उन व्यापारियों के लिए है जो पहली बार लाइसेंस लेने जा रहे हैं, क्योंकि जिनके पास पहले से सालभर का लाइसेंस चल रहा है उनका लाइसेंस एक साल होने के बाद ही रिन्यू (Renew) होता है.
पर्यटन नगरी को इससे फायदा
राजस्थान की एक खासियत है कि यहां पर्यटन शहरों में सालभर टूरिस्ट बड़ी संख्या में नहीं होते हैं. जैसे उदयपुर की बात करें तो यहां अक्टूबर से लेकर जनवरी तक टूरिस्ट का बड़ा पीक सीजन होता है. इसके बाद कुछ कम पड़ जाता है जो त्योहारों के आसपास ही उठता है. ऐसा ही हाल जोधपुर और जैसलमेर का भी है जहां अलग-अलग माह में टूरिस्ट का पीक सीजन होता है.
ऐसे में व्यापारी चाहे की वह इन्हीं पीक सीजन में लाइसेंस लेना चाहता है तो वह ले सकता है, जिससे उसे सालभर की फीस चुकाकर नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. इससे विभाग को भी रेवेन्यू में फायदा होगा और अवैध शराब पर कमी आएगी.
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