Kota News: किसानों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. सरकारें भी केवल खानापूर्ति कर वाहवाही लूट रही हैं.धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है. किसान आत्महत्याएं कर रहा है.ऐसे में अब भारतीय किसान संघ (Bhartiya Kisan Sangh) ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन की राह पकड़ ली है. संघ ने किसान समस्याओं को लेकर बड़े आंदोलन के संकेत दिए हैं. किसान अगले महीने जयपुर कूच की तैयारी कर रहे हैं.
क्या कहना है किसान नेताओं का
संघ के प्रांत महामंत्री अंबालाल शर्मा और उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने कहा कि शासन ने किसानों के हितों पर कुठाराघात किया है.अब किसानों के सामने आंदोलन के अलावा कोई विकल्प शेष नहीं बचा है.सरकार के खिलाफ आंदोलन की पूरी रणनीति तैयार है,जल्दी ही कूच किया जाएगा.शर्मा ने कहा कि गेहूं का उत्पादन अधिक होने और दूसरे देशों में मांग के बावजूद सरकारी नीति के कारण गेहूं का पूरा मूल्य किसान को नहीं मिल पा रहा है.भारतीय किसान संघ की मांग है कि वाणिज्य मंत्रालय किसानों के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले किसान और कृषि मंत्रालय से सामंजस्य बिठाए.उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी घोषित करती है,लेकिन उसका 25 प्रतिशत ही खरीदती है.
लहसुन की एक गांठ की भी नहीं हुई सरकारी खरीद
संघ के प्रदेश मंत्री जगदीश कलमंडा और प्रांत प्रवक्ता आशीष मेहता ने कहा कि राजस्थान सरकार ने लहसुन खरीदी का सर्कुलर तो जारी किया, लेकिन एक गांठ भी नहीं खरीदी.हाड़ौती में सदानीरा नदियां बहती हैं,लेकिन छोटी-छोटी परियोजनाओं के अभाव में किसान के खेत तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है.राजस्थान सरकार की किसान विरोधी नीति के कारण किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हैं. अभी हाल ही में बूंदी में किसान ने आत्महत्या की है. सरकार का बीमा कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है.सरकारी गिरदावरी में 30 प्रतिशत से अधिक खराबा नहीं दिखाने के लिए अधिकारियों पर दबाव है, इसके खेत का धनिया असमय बारिश में बह गया.उसका भी खराबा 30 प्रतिशत ही दिखाया जा रहा है.यह किसान के साथ मजाक है.
आपदा राहत राशि भी किसी को दो रुपए तो किसी को दो सौ रुपए मिल रही है.यह किसानों के साथ हास्यास्पद स्थिति है.उन्होंने कहा कि पांच प्रकार से बिजली पैदा होने के बावजूद राजस्थान में किसानों को ना तो निर्बाध बिजली मिल पा रही है और ना ही उसका मूल्य ही कम किया गया है.चुनाव में सभी पार्टियों को किसानों का मांग पत्र दिया जाएगा.
खराब हुई फसलों का मुआवजा कई सालों से है बकाया
जगदीश कलमंडा ने कहा कि आपदा राहत कोष से मिलने वाली राशि में से बीमा की राशि काटकर दी जा रही है.यह किसानों के साथ अन्याय है.पूर्वी नहर परियोजना को फुटबॉल बना दिया गया है.फसल खराब होने पर गिरदावरी के नाम पर माहौल तो बहुत बनाया जाता है,लेकिन खराबा वर्ष 2019, 2021 और 2022 का अभी भी बकाया है.आशीष मेहता ने कहा कि सरकार ने सरसों की खरीद का 15 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा है.जबकि सकल उत्पादन 120 लाख टन है.यह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है.
रघुनाथ सिंह नाथावत ने कहा कि 2019 में खराबा होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हेलीकॉप्टर से दौरा करने आए थे, लेकिन अभी तक फसल खराबे का पैसा एक भी किसानों को नहीं मिला है.राधेश्याम गुर्जर और विक्रम सिंह सिरोहिया ने कहा कि यदि अगले कुछ दिनों में किसानों की समस्याओं का हल नहीं निकला तो अगले महीने राजस्थान भर का किसान जयपुर कूच करेगा.
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