Udaipur Weather News: उदयपुर संभाग में 'काले सोने' को लगी ठंड, किसान खेतों में आग लगाने को हुए मजबूर
उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती होती है. राजस्थान के उदयपुर की अफीम विदेशों में भेजी जाती है. खराब मौसम का असर इंसानों के साथ खेती पर भी हुआ है.
Udaipur Weather: उदयपुर संभाग में कड़ाके की ठंड ने इंसानों के साथ अफीम की खेती को भी प्रभावित किया है. काले सोने के नाम से जाने जानी वाली अफीम की सबसे महंगी खेती को सर्दी लग गई है. सबसे ज्यादा खराब हालत चित्तौड़गढ़ जिले में लगी हुई अफीम की है. तापमान 2 डिग्री पहुंचने के कारण अफीम की फसल पर बर्फ जम रही है. खराबे की स्थिति से बचने के लिए किसान खेती में आग भी लगा रहे हैं. चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिले में बड़ पैमाने पर किसान अफीम की खेती करते हैं.
पारा दो डिग्री सेल्सियस से भी नीचे लुढ़का
चित्तौड़गढ़ में पारा 2 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुंचा हुआ है. बुधवार को पिछले 24 घंटे में थोड़ी राहत मिली. न्यूनतम तापमान में 1.3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई. फसल को पीला होने से बचाने के लिए किसानों ने खेत की मेड में आग लगाकर धुंआ किया. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके शर्मा ने बताया कि सर्दियों में तापमान कम होता है.
अफीम की खेती में किसानों ने लगाई आग
लगातार हवा चलने की स्थिति में पारा और लुढ़कने लगता है और फिर पाला पड़ता है. टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियां 5-6 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर ही गलन यानी खराबे की स्थिति में आ जाती हैं लेकिन गेहूं, अफीम की फसल तापमान के 2 डिग्री से नीचे लगातार रहने पर पीली पड़ने लगती है. फसल को पाले से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की जाती है. किसानों को खेतों में आग लगाकर धुआं करने की सलाह दी जाती है. धुएं से तापमान बढ़ जाता है. तापमान के बढ़ने से फसल गलने से बच जाती है. धुंए का असर 24 घंटे ही रहता है. इसलिए एडवाइजरी होने पर ही किसानों को उपाय अपनाने चाहिए.