Kota News: कोटा (Kota) संभाग में नेत्रदान को लेकर काफी जागरुकता आई है. इसी के चलते इस अभियान को और अधिक गति दी जा रही है. शहर के साथ-साथ गांव में भी अब लोग नेत्रदान को लेकर प्रयासरत हैं. प्रदेश में नेत्रदान के कार्यों को तेजी से जन-अभियान बनाने में शाइन इंडिया फाउंडेशन का सहयोग अत्यंत सराहनीय है. आई बैंक सोसायटी राजस्थान जयपुर से अधिकृत और उनके मार्गदर्शन में कार्यरत संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन और  ईबीएसआर बीबीजे चेप्टर का नेत्रदान अभियान पूरे हाड़ौती में घर-घर जा पहुंचा है. 


डॉ. कुलवंत गौड़ बताया कि संस्था ने प्रारंभ से ही नेत्रदान अभियान में हर उम्र और वर्ग के लोगों को अलग-अलग तरह के रोचक और अनोखे प्रयोगों से जागरूक करने का प्रयास किया है. इसी कारण से बहुत ही कम समय में हाड़ौती संभाग में नेत्रदान अभियान एक जन अभियान बन गया. इस अभियान के अंतर्गत ही संस्था को नेत्रदान कार्यों और ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने के लिए कुन्हाड़ी निवासी, आशीष शर्मा (प्रवासी भारतीय न्यूजीलैंड) और उनके मित्र नवनीत शर्मा ने एक मारुति इको गाड़ी उपहार में भेंट की थी, जिसका उपयोग कोटा शहर और उसके आसपास के 200 किलोमीटर के दायरे में नेत्रदान जागरुकता, नेत्र संग्रहण और कॉर्निया की अंधता को मिटाने के लिए किया जा रहा है.


गाड़ी के पीछे लगी टीवी पर दिखेगी नेत्रदान की प्रक्रिया
डॉ. कुलवंत गौड़ बताया कि  नवाचार के नए प्रयास के अंतर्गत इस इको गाड़ी के पीछे एक टीवी को लगाया गया है, जिसमें ऐसी व्यवस्था रखी गई है कि, जब भी नेत्रदान के लिए टीम घर पर पहुंचकर नेत्रदान की प्रक्रिया करेगी, तो वह सारी प्रक्रिया बाहर खड़े लोग बहुत आसानी से टीवी पर देख सकेंगे. इस नए प्रयोग के पीछे कारण यह है कि लोग नेत्रदान प्रक्रिया को आज भी पूरी तरह नहीं समझते हैं. इस लाइव सर्जरी के माध्यम से नेत्रदान से जुड़ी उनकी सभी तरह की भ्रांतियां दूर हो सकेंगी. डॉ गौड़ ने बताया की पूरे भारतवर्ष में ये ऐसी गाड़ी है, जिसमें अंदर नेत्रदान की प्रक्रिया को बाहर देखा जा सकेगा. 


नेत्रदान, अंगदान और देहदान समय की जरूरत- संभागीय आयुक्त
संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया ने कार्यालय परिसर में ज्योति रथ में उपस्थित इस नवाचार प्रयास का फीता काटकर उद्घाटन किया. देश की पहली नेत्रदान वाहिनी का संभागीय आयुक्त ने शुभारंभ किया और इस संस्था के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि नेत्रदान,अंगदान और देहदान आने वाले समय की जरूरत हैं. इस बारे में प्रारंभ से ही परिवार के सदस्यों को जागरूक रहना चाहिए. चिकित्सा के क्षेत्र में यह एक चमत्कार से कम नहीं है कि मौत के करीब आया हुआ एक व्यक्ति, ब्रेनडेड व्यक्ति के अंगदान के माध्यम से पुन: जीवन पा सकता है. एक ब्रेन डेड व्यक्ति जाते-जाते नौ लोगों के जीवन को प्रकाशित कर जाता है.


वहीं संस्था संस्थापक डॉ संगीता गौड़ ने कहा कि हमारे नेत्रदान अभियान के अनवरत प्रयासों से अब परिजन स्वत: ही अपने दिवंगत परिजन के नेत्र दान करवाने के लिए कॉल कर लेते हैं. प्रारंभ में एक वर्ष में सिर्फ दो दिवंगतों के नेत्र दान में प्राप्त हुए थे. आज सभी के सम्मिलित प्रयासों से प्रतिदिन दो व्यक्तियों के नेत्र दान में प्राप्त हो रहे हैं. इसे पता चलता है कि लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता का प्रतिशत काफी बढ़ा है. संस्था की ओर से ज्योति मित्र, भरत गोयल और टिंकू ओझा का भी सहयोग रहा. मृत व्यक्ति से कॉर्निया प्राप्त करने की प्रक्रिया को टीवी पर दिखाया गया.


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