Gopashtami 2022: गौमाता के चरणों की मिट्टी को मस्तक पर लगाने से होती है सौभाग्य की वृद्धि, जानें महत्व
हिन्दू धर्म में गाय को दिव्यगुणों का स्वामी कहा गया है. गाय में देवी-देवता का निवास माना गया है. गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले लोगों को सुख समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है.
Rajasthan News: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी यानी एक नवंबर को गोपाष्टमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. गौ माता की पूजा अर्चना की जा रही है, गौ माता के माथे पर तिलक, अक्षत, लगाकर मिठाई और पकवान खिलाए जा रहे हैं, आरती उतारी जा रही है, मेहंदी लगाई जा रही है. साथ ही धन धान्य से जीवन सुखी रहे ऐसी कामना की जा रही है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गोपाष्टमी गाय की पूजा और प्रार्थना करने के लिए समर्पित एक पर्व है. इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है.
क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी?
दरअसल द्वापर युग से चला आ रहा ये पर्व इस बार एक नवंबर 2022 मंगलवार को मनाया जा रहा है. मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था. आठवें दिन इंद्र अपना अहंकार और गुस्सा त्यागकर श्रीकृष्ण के पास क्षमा मांगने आए थे. तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जा रहा है. गाय को हमारी संस्कृति में पवित्र माना जाता है. श्रीमद्भागवत में लिखा है कि जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें कामधेनु निकली. पवित्र होने की वजह से इसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया. माना जाता है कि कामधेनु से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई. श्रीमद्भागवत में इस बात का भी वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण भी गायों की सेवा करते थे.
गोपाष्टमी का पोराणिक महत्व
ज्योतिषाचार्य अमित शास्त्री ने बताया कि गोपाष्टमी का ये पर्व गौधन से जुड़ा है. भारत में इस पर्व का अपना ही महत्व है. गाय सनातन धर्म की आत्मा मानी जाती है. हिन्दू धर्म में गाय का महत्व होने के पीछे एक कारण ये भी है कि गाय को दिव्यगुणों का स्वामी कहा गया है. गाय में देवी-देवता का निवास माना गया है. पौराणिक ग्रंथों में कामधेनु का जिक्र भी मिलता है. मान्यता है कि गोपाष्टमी की पूर्व संध्या पर गाय की पूजा करने वाले लोगों को सुख समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है.
गोपाष्टमी की पूजा विधि
गोपाष्टमी पर सर्वे प्रथम गायों को स्नान कराएं फिर गौमाता का आकर्षक श्रृंगार करें. गंध-पुष्प आदि से गायों की पूजा करें और ग्वालों को उपहार आदि देकर उनका सम्मान करें. गायों को भोजन कराएं और उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाएं. संध्या को जब गायें वापस आएं तो उनका पंचोपचार पूजन करके कुछ खाने को दें. अंत में गौमाता के चरणों की मिट्टी को मस्तक पर लगाएं. ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है.
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