Rajasthan News: देश में छोटी काशी के नाम से विख्यात गुलाबी नगरी जयपुर में गोविंद देव जी का मंदिर है. प्राचीन काल से ही इस मंदिर को जयपुर का आराध्य देव माना जाता है. प्रतिदिन गोविंद देव जी के मंदिर में पूजा अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं की अटूट भक्ति देखी जा सकती है. गोविंद देव जी के मंदिर में एक 90 वर्षीय महिला की ऐसी ही अटूट श्रद्धा और भक्ति दिखी. यहां महिला ने जिस तरह से भक्ति में लीन होकर नृत्य किया, उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
जयपुर के गोविंददेव जी के मंदिर में आरती के दौरान भक्ति में लीन एक 90 वर्षीय महिला की खास वीडियो सामने आया है. महिला का ये वीडियो गोविंददेव जी के प्रति उसके समर्पण और श्रद्धा के अटूट विश्वास को दिखा रहा है. इस मंदिर में भगवान कृष्ण की लीला में खोकर जिस तरह से श्रद्धालु मस्ती में झूमने लगते हैं. वैसे ही 90 वर्षीय महिला ने भगवान की आस्था में झूम कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया.
गोविंददेव जी के मंदिर का इतिहास
राजस्थान की राजधानी जयपुर जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है. इस नगरी में 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र मथुरा नरेश ब्रजनाभ ने गोविंददेव जी की बनवाई थी. गोविंद देव जी की मूर्ति ने जयपुर को भी वृंदावन जैसा बना दिया. इस मंदिर में राधा रानी और दो सखियों के संग विराजे गोविंद देव जी को पहले वृंदावन से सिटी पैलेस परिसर के सूरज महल में विराजमान किया गया था. औरंगजेब के कार्यकाल के समय देवालायों में हुई तोड़ फोड़ हुई. उस दौरान चैतन्य महाप्रभु के शिष्य शिवराम गोस्वामी राधा गोविंद को वृंदावन से बैलगाड़ी में बैठकर सबसे पहले सांगानेर के गोविंदपुरा पहुंचे थे.
नरेश जयसिंह द्वितीय ने बसया जयपुर
तत्कालीन आमेर नरेश मानसिंह प्रथम ने वृंदावन में राधा गोविंद का भव्य मंदिर बनवाने के बाद गोविंदपुरा को गोविंद देव जी की जागीर में दे दिया था. उसके बाद जब नरेश जयसिंह द्वितीय ने जयपुर बसया तब राधा गोविंद देव जी को सिटी पैलेस के सूरज महल में ले आए थे. राधा गोविंद देव जी के वृंदावन से जयपुर में विराजमान होने के बाद राधा कृष्ण की भक्ति का प्रचार करने वाले कई संप्रदाय की पीठ के लोग भी यहां पहुंचने लगे. मंदिर निर्माण के बाद कारीगरों को वृंदावन भेजा गया. राधा रानी को भी उड़ीसा से लाकर गोविंददेव जी के साथ विराजित किया गया. जिसमें गोविंद भक्ति के रस की धारा बहने लगी.