Gujarat Election 2022: गुजरात में कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन, रघु शर्मा ने ली जिम्मेदारी
Raghu Sharma Resigns: गुजरात के कांग्रेस प्रभारी रहे रघु शर्मा राजस्थान सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने अपने रेजिग्नेशन में लिखा कि वह गुजरात चुनाव में हार की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं
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Gujarat Election 2022: गुजरात के विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस की सबसे बड़ी हार हुई है. आजादी के बाद कांग्रेस को इतनी बड़ी शिकस्त का सामना कभी नहीं करना पड़ा था. इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा ने अपना इस्तीफ़ा (Raghu Sharma Resignation) दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को भेजा. इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गईं और अब उनके रेजिग्नेशन को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं.
दरअसल, रघु शर्मा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का बेहद करीबी माना जाता है. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा- 'अप्रत्याशित हार की मैं संपूर्ण नैतिक जिम्मेदारी लेता हूं और गुजरात प्रभारी पद से इस्तीफा दे रहा हूं.' तो अब रघु शर्मा के आगे की राजनीतिक राह क्या होगी?
एक साल पहले बने थे प्रभारी
अक्टूबर 2021 में लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस ने गुजरात प्रभारी का एलान किया था. उस समय कांग्रेस ने रघु शर्मा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही थीं. कोरोना काल में रघु शर्मा राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. उस दौरान खूब चर्चा में थे. उनके कार्य को बेहतर बताया जा रहा था. गुजरात के साथ ही उन्हें दमन और दीव और दादरा एंड नगर हवेली के लिए भी कांग्रेस कमेटी का प्रभारी नियुक्त किया गया था. एक साथ इतना बड़ा कार्यक्षेत्र मिलने से इनके राजनीति कैरियर को मजबूत बताया जाने लगा था. जानकार इसे बेहतर मान रहे थे, लेकिन अब चीजें बदलती नजर आ रही हैं. अब इनकी राजनीतिक राह क्या होगी, इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा पा रहा है.
स्टार प्रचारक भी बने थे
गुजरात चुनाव में अशोक गहलोत और डॉ. रघु शर्मा ने धुआंधार रैलियां और सभाएं की हैं. सचिन पायलट की भी कुछ रैलियां हुई थीं. 31 अक्टूबर को ही 4 जनसभाओं को संबोधित किया था. एक आंकड़े के अनुसार, गुजरात के 51 शहरों में 15 लाख से ज्यादा राजस्थानी हैं. इनमें 4 लाख आदिवासी बताए गए हैं, जो दक्षिण राजस्थान से हैं. गुजरात के दो बड़े जिलों में ही 5 लाख राजस्थानी रहते हैं. सूरत में 2.75 लाख और अहमदाबाद में 2.25 लाख से ज्यादा राजस्थान के लोग बसे हैं. इसलिए इस चुनाव को कांग्रेस मजबूत समझ रही थी.
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