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Gulab Chand Kataria: उदयपुर से पहले भी कई नेता बन चुके हैं राज्यपाल, लेकिन गुलाब चंद कटारिया ने बनाया यह नया रिकॉर्ड!
असम के नए राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया चर्चा में बने हुए हैं. वे राजस्थान के अकेले ऐसे नेता हैं जो नेता प्रतिपक्ष रहते हुए राज्यपाल बनाए गए है. उनके राज्यपाल बनने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष के चुनाव होंगे.
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Gulab Chand Kataria: भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया (Gulab Chand Kataria) आखिर क्यों चर्चा में है? उनकी असम के राज्यपाल की नियुक्ति सुर्खियों में है. उन्होंने एक नया रिकार्ड जो बनाया है. दरअसल, गुलाब चंद कटारिया नेता प्रतिपक्ष रहते हुए राज्यपाल नियुक्त हुए है. नेता प्रतिपक्ष बनने वाले नेता को लोग यहां मजबूत नेता के तौर पर देखते हैं. ऐसे में गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल नियुक्त होने से यहां पर एक नए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव होगा. गुलाब चंद कटारिया राजस्थान के एक अकेले ऐसे नेता होंगे जो नेता प्रतिपक्ष रहते हुए राज्यपाल बनाए गए हैं. इसके पहले ज्यादातर जो राज्यपाल बने वो या तो यहां की राजनीति से दूर हो गए थे या उनकी यहां पर कोई सक्रियता ज्यादा नहीं बची .
राज्यपाल के लिए जाना जाता है उदयपुर
उदयपुर को राजस्थान में राज्यपाल के लिए जाना जाता है. क्योंकि यहां से कई दिग्गज नेता राज्यपाल रह चुके हैं और जिन्हें भी राज्यपाल बनाया गया है वो सभी राजस्थान के प्रमुख नेता रहे हैं. सादिक अली महाराष्ट्र और तमिलनाडु के राज्यपाल, मोहनलाल सुखाडिया कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु, सुंदर सिंह भंडारी बिहार और गुजरात, अरविंद दवे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और असम के राज्यपाल रहे और अब गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. ऐसे में राजस्थान का उदयपुर राज्यपाल के लिए जाना जाने लगा है.
राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के नाम दर्ज है ये रिकार्ड
राजस्थान की राजनीति में वैसे तो कई रिकार्ड हैं लेकिन एक रिकार्ड यह भी है कि जो नेता प्रतिपक्ष रहा और उसने चुनाव भी जीता लेकिन वो सीएम नहीं बना है. उसके पहले उसे कोई बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई है. विधानसभा के कार्यकाल के आखिर में जो भी नेता प्रतिपक्ष बनाया गया वह यहां मुख्यमंत्री नहीं बन सका. भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे नेता प्रतिपक्ष रहे, लेकिन चुनाव के वक्त विपक्ष के नेता नहीं रहे. राजस्थान के दिग्गज नेता हरिदेव जोशी तीन बार मुख्यमंत्री रहे लेकिन नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के बाद सीएम नहीं बन पाए. गुलाबचंद कटारिया और परसराम मदेरणा दो-दो बार नेता विपक्ष रहे. इसी के साथ यह रिकार्ड बना हुआ है.
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