बीजेपी सरकार में भी दो DGP का जलवा बरकरार, एक बने सांसद दूसरे को मिला ये बड़ा मौका
Rajasthan News: रिटायरमेंट के बाद एक पूर्व डीजीपी को राजनीति में एंट्री का मौका मिला. कांग्रेस शासन में डीजीपी रहे दूसरे अधिकारी को भजनलाल सरकार ने बड़ा तोहफा दिया.
Rajasthan News: सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजस्थान में दो पूर्व डीजीपी का 'रूतबा' बना हुआ है. एक पूर्व डीजीपी सांसद बन गये हैं और दूसरे को राज्य सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्त बनाया है. टोंक-सवाईमाधोपुर से सांसद बने हरीश चंद्र मीणा अशोक गहलोत सरकार में डीजीपी रह चुके हैं. रिटायरमेंट के बाद बीजेपी ने हरीश चंद्र मीणा को दौसा से लोकसभा का टिकट दिया था. मोदी लहर में उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीत लिया. उसके बाद 2018 में उन्होंने पाला बदलकर कांग्रेस का दामन थाम लिया.
विधानसभा चुनाव में हरीश चंद्र मीणा देवली-उनियारा से विधायक चुन लिये गए. हरीश चंद्र मीणा की राजनीतिक शुरुआत बीजेपी के समय हो चुकी थी. उसके बाद से लगातार विधायक और सांसद बन रहे हैं. वहीं, मोहन लाल लाठर अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री काल में राजस्थान के डीजीपी बने. रिटायरमेंट के बाद उन्हें राजनीति में एंट्री नहीं मिली लेकिन पिछले दिनों बीजेपी की भजनलाल सरकार ने बड़ा तोहफा दिया. मोहन लाल लाठर की नियुक्ति मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर कर दी गयी.
सचिन पायलट खुद करते थे विरोध?
अशोक गहलोत की सरकार में ज्यादातर पूर्व आईएएस और पूर्व आईपीएस महत्वपूर्ण पदों पर काबिज थे. उस समय पूर्ण डिप्टी सीएम सचिन पायलट खुद इस बात का विरोध करते थे. उनका तर्क था कि पूर्व अधिकारियों की जगह कार्यकर्ताओं को जगह मिलनी चाहिए. सचिन पायलट कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देख रहे थे. आरोप लगा कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दरकिनार कर अशोक गहलोत सरकार पूर्व आईएएस और पूर्व आईपीएस पर मेहबरान है.
दो पूर्व डीजीपी पर सरकार मेहरबान
पूर्व डीजपी मोहन लाल लाठर को मुख्य सूचना आयुक्त बनाये जाने के बाद से बीजेपी में भी खलबली है. हरीश मीणा मोदी लहर में बीजेपी के टिकट पर सांसद बने थे. अब मोहन लाल लाठर को मुख्य सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी देने से राज्य में सियासी हालात थोड़े 'डगमगा' गए हैं. इसलिए बीजेपी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के तवज्जों की बात खुद मुख्यमंत्री कह रहे हैं. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और नियुक्तियों की संभावना है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
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