उदयपुर: राजपूताना और अब राजस्थान सदियों की विरासत को संभाले हुए है.कई ऐतिहासिक महल, हथियारों, मूर्तियों और अन्य चीजों का खजाना है. इसमें एक अद्भुत विरासत उदयपुर में है. इसे आम भाषा ने अंग्रेजों की लाइब्रेरी कहा जाता है.क्योंकि यह 130 साल पहले ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की याद में बनाई गई थी.बड़ी बात यह कि अब यह युवाओं के पढ़ने के लिए लाइब्रेरी बन चुकी है.यहां 200 साल पुरानी पुस्तकें, बेशकीमती पेंटिंग, गजट सहित अन्य वस्तुएं पड़ी हुई हैं.खास बात यह भी है कि पुराने गजट जा संरक्षण करने के लिए लाइब्रेरी का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है.जानते हैं क्या है यह पुस्तकालय और क्या इतिहास है इसका.


विक्टोरिया हॉल से सरस्वती लाइब्रेरी 


दरअसल जिस पुस्तकालय की हम बात कर रहे हैं वह उदयपुर शहर के बीच ऑक्सीजन हब कहे जाने वाले गुलाब बाग में स्थित है.इसका ऐतिहासिक नाम विक्टोरिया हॉल म्यूजियम है.वर्ष 1887 ने रानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती थी.इस अवसर पर मेवाड़ के महाराणा फतह सिंह ने विक्टोरिया हॉल का निर्माण कराया था.वर्ष 1890 में वॉय सराय लार्ड लेंस डोवने ने इसका उद्घाटन किया था.इसका निर्माण मेवाड़ की वास्तु शैली पर हुआ. इसकी विशेषताओं में यहां का झरोखा, गुंबद, जालियां और प्रवेश द्वार है.यह पूरी हेरिटेज लुक में बनी हुई है.आजादी जे बाद इसे लाइब्रेरी बना दिया गया जिसका नाम रखा गया सरस्वती लाइब्रेरी.


पहले यह एक म्यूजियम हुआ करता था, जहां ऐतिहासिक हथियार सहित अन्य वस्तुएं पड़ी हुई थीं.इसके बाद अब सरस्वती लाइब्रेरी बन चुकी है.इस लाइब्रेरी में डेढ़ लाख पुस्तकें, पेंटिंग, गजट पड़े हुए हैं. ये सब करीब 200 साल पुराने हैं. यहां कई भाषाओं में हिस्ट्री, काव्य, धार्मिक की पुस्तकें, राजाओं के समय के गजट, फोटो और अन्य वस्तुएं पड़ी हुई हैं. यहां रानी विक्टोरिया की एक पत्थर से बनी 100 साल पुरानी मूर्ति भी रखी हुई है.इसके पास बैठकर युवा पढ़ाई करते हैं.


रविवार को भी खुलती है लाइब्रेरी 


 इस लाइब्रेरी में 200 स्टूडेंट्स रोजाना आते हैं. बड़ी बात यह भी है कि यह स्टूडेंट्स के लिए रविवार को भी खोली जाती है.यहां ऐतिहासिक पुस्तक सामग्री तो है ही, इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी यहां पुस्तकें पड़ी हुई हैं.इसके पास ही 50 लाख की कीमत से एक नए हॉल का निर्माण कराया गया है. इसमें अतिरिक्त 151 स्टूडेंट्स और बैठने की व्यवस्था हो गई है.


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