RPSC Paper Leak Case: राजस्थान लोक सेवा आयोग की द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में निलंबित और बर्खास्त अध्यापकों ने हाई कोर्ट का रुख किया. उन्होंने निलंबन और बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) में याचिका दायर की. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया. अदालत ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. 


किस बेंच ने की याचिका पर सुनवाई


हाई कोर्ट के जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बेंच ने भागीरथ और रावत राम की ओर से बर्खास्तगी वाले विभागीय आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. इन याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि आप लोग सहानुभूति और संदेह का लाभ देने के लायक नहीं हैं. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कदाचार, असंवैधानिक और अनैतिक कार्यों में शामिल हैं.  


याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि भागीरथ सिरोही में विज्ञान और रावत राम जालौर में संस्कृत के वरिष्ठ अध्यापक पद पर कार्यरत थे. उदयपुर के सुखेर थाना पुलिस ने दोनों को पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया गया था.इसके बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने 24 दिसंबर 2022 को दोनों को निलंबित कर दिया था. इसके बाद इस साल 13 जनवरी को संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा विभाग पाली ने दोनों को बर्खास्त कर दिया. सरकार की ओर से पेश हुए हेमंत चौधरी ने कहा कि पुलिस ने चलती बस में पेपर हल करते और करवाते हुए 40 लोगों को गिरफ्तार किया था.


राजस्थान हाई कोर्ट ने क्या कहा है


जस्टिस विनीत माथुर ने अपने फैसले में दर्ज किया कि याचिकाकर्ता कदाचार में लिप्त, असंवैधानिक और अनैतिक कार्य करते हैं. वे किसी भी नरमी के पात्र नहीं हैं. इस तरह के कृत्य से ईमानदार और कड़ी मेहनत करने वाले छात्रों का करियर खतरे में पड़ जाता है. वे हतोत्साहित होते हैं. पेपर लीक में शिक्षकों की संलिप्तता गंभीर है. कोई सहानुभूति और संदेह का लाभ ऐसे व्यक्तियों को नहीं दिया जाना चाहिए.


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