Rajasthan High Court Prisoner Parole: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने इस बात का संज्ञान लेते हुए कि एक पत्नी की शादीशुदा जिंदगी से संबंधित यौन और भावनात्मक जरूरतों की रक्षा होनी चाहिए, आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक व्यक्ति को 15 दिन की पैरोल दी है. कैदी (Prisoner) अजमेर (Ajmer) की जेल (Jail) में बंद है. बड़ी बात ये है कि, पैरोल पर छोड़ने का कोई प्रावधान नहीं होने के बाद भी उम्रकैद (Life Prison) की सजा काट रहे इस शख्स को राजस्थान हाईकोर्ट ने जेल से घर जाने के लिए पैरोल (Parole) दी है.
पत्नी ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
कैदी की पत्नी (Wife) ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपने पति के लिए पैरोल मांगी थी और इसके लिए उसने संतान उत्पत्ति का हवाला दिया था. महिला ने पहले अपनी अर्जी कलेक्टर के पास दी थी, जब सुनवाई नहीं हुई तो फिर उनसे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने महिला याचिका को स्वीकार करते हुए उसके पति की पैरोल मंजूर की है.
पैरोल नियमावली में नहीं है प्रावधान
न्यायमूर्ति फरजंद अली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और सामाजिक मानवीय पक्षों, एक दंपती को संतान होने के अधिकार का हवाला देते हुए नंद लाल नाम के व्यक्ति को पैरोल की अनुमति दी है. अदालत ने कहा कि बच्चा जनने के लिए बंदी की पत्नी की तरफ से दायर याचिका पर, राजस्थान पैरोल नियमावली 2021 के तहत बंदी को पैरोल पर छोड़ने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन 'पत्नी की शादीशुदा जिंदगी से संबंधित यौन और भावनात्मक जरूरतों की रक्षा' के लिए बंदी को उसके साथ रहने की इजाजत दी जा सकती है.
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