Bundi School News: राजस्थान के सबसे छोटे शहरों में से एक बूंदी अपने ऐतिहासिक धरोहरों के साथ यहां के स्वर्णिम इतिहास के लिए भी जाना जाता है. हम बूंदी के इतिहास के साथ शिक्षा क्षेत्र से जुड़े इतिहास के बारे में भी बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. बूंदी में देश आजाद होने से पहले ही शिक्षा का स्तर काफी उज्जवल था. इतिहास के पन्नों को पलटें तो हम जानेंगे कि सन 1235 ईस्वी में बूंदी जिले की स्थापना हुई. यहां की स्थापना के साथ ही हाड़ा राजवंशो की यहां हुकूमत रही. बूंदी जिले में दो सरकारी कॉलेज हैं जबकि जिला मुख्यालय में राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय हायर सकेंडरी स्कूल है. यह वो शिक्षण संसथान है जहां बूंदी जिले की अधिकतर आबादी यहां अध्ययन की हुई है. 


बूंदी के तत्कालीन हाड़ा रावराजा ईश्वरी सिंह ने अपने शाशन के दौरान 6 मई 1935 को हाडवेंद्र कॉलेज की नींव रखी थी. 21 अप्रेल 1936 में हाडवेंद्र कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण पूरा होकर इसका लोकार्पण हुआ. यह हाडवेंद्र कॉलेज बीते 4 दशक से सीनियर सेकेंडरी स्कूल की शक्ल ले चुका है. शहर के कोटा रोड पर स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल(हाडवेंद्र कॉलेज) का इतिहास बड़ा रोचक है. बूंदी के हायर सेकेंडरी में अब तक 2 लाख से अधिक छात्र अध्ययन कर चुके हैं और 4 से अधिक एमएलए इस स्कूल से पढ़कर बने. यह सीनियर सेकेंडरी स्कूल वास्तविक कलाओं से बना अद्भुत भवन है. स्कूल में बड़े-बड़े कक्षा भवन बने हुए हैं. 




आज भी इस स्कूल में अंग्रेजों के जमाने के पंखे, खिड़कियां, दरवाजे सहित कई चीजें हमे गुजरे जमाने से रुबरू करवाती हैं. प्रिंसिपल ओम प्रकाश वर्मा ने बताया कि जिस समय यह कॉलेज का निर्माण हुआ था. उस समय अंग्रेजों का शासन हुआ करता था तब इस कॉलेज में 12वीं में ही कॉलेज की पढ़ाई होती थी. मतलब नौवीं और दसवीं कक्षा में विषय चुने जाते थे और 11वीं व 12वीं की पढ़ाई के रूप में कॉलेज हुआ करती थी. इस कॉलेज में 12वीं पास करने के बाद उसे ग्रेजुएट मान लिया जाता था. इस स्कूल में 90 सालों से लगातार पढ़ाई जारी है और इन सालों के बीच 2 लाख बच्चे अध्ययन कर चुके हैं. इस हायर सेकेंडरी स्कूल में सभी संकाय के विषय का अध्ययन करवाया जाता है.


स्कूल के 4 छात्र विधायक और सांसद भी बने


बूंदी हायर सेकेंडरी में पढ़ने वाले छात्र कई जगहों पर अंपनी सेवाएं दे रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार राजनीतिक सफर भी इस सीनियर सेकेंडरी में पढ़ने वाले छात्रों का अच्छा रहा है. सीनियर सेकेंडरी में अब तक के इतिहास में 4 छात्र बूंदी के विधायक भी बने. जिसमें पंडित सुंदर शर्मा दो बार विधायक रहे, जबकि छात्र ओम प्रकाश शर्मा एक बार, छात्र हरिमोहन शर्मा 2 बार, छात्र रामनारायण मीणा 3 बार विधायक और एक बार सांसद रहे. जबकि छात्र राकेश बोयत बूंदी के जिला प्रमुख रहे तो छात्र सदाकत अली शहर के सभापति रहे. यह वह छात्र है जो प्रमुख पदों पर रहे जबकि कई ऐसे छात्र हैं जो राजनीतिक स्तर पर संगठन में काम कर रहे हैं. 


राजकीय महाविद्यालय के बारे में जानें 


अपने साहित्यिक व सांस्कृतिक वैभव के लिए छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी शैक्षणिक आवश्यकताओं को देखते हुए 1945 में हाडेन्द्र कॉलेज के नाम से यह संस्थान अस्तित्व में आया. इंटरमीडिएट की शिक्षा प्रदान करने वाला तत्कालीन बूंदी राजकीय महाविधालय प्रदेश का एक मात्र उच्च शिक्षण संस्थान था. उस समय केवल कला संकाय की ही कक्षाएँ आरम्भ हुई थी. सन् 1951 में विज्ञान एवं वाणिज्य की कक्षाएं भी खुलीं. सन 1959 में महाविद्यालय को स्नातक स्तर तक शिक्षा प्रदान करने की मान्यता प्राप्त हुई. सन 1964 में महाविद्यालय वर्तमान भवन में अवस्थित हुआ. 


इसके बाद सन 1975 में नोन रेजिडेन्ट स्टूडेन्ट सेन्टर का निर्माण हुआ. सन 1977 का साल इस महाविद्यालय की प्रतिष्ठा वृद्धि का एक गौरवशाली वर्ष बना. इस साल महाविद्यालय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रूप में क्रमोन्नत हुआ तथा वर्तमान पुस्तकालय भवन एवं छात्रावास भवन का निर्माण हुआ. सन 1995 में महाविद्यालय में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय का अध्ययन केन्द्र स्थापित हुआ. सन 2004 में महाविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (NAAC) द्वारा B+ ग्रेड प्रदान किया गया. सन 2007 में इस महाविद्यालय को राजस्थान सरकार द्वारा मॉडल कॉलेज घोषित किया गया. राजस्थान सरकार द्वारा इस महाविद्यालय को भी श्रेष्ठता के केन्द्र (सेन्टर फॉर एक्सीलेन्स) के रूप में विकसित किया जा रहा है. 


बूंदी पीजी कॉलेज की खास बातें 


67 वर्षों से अनवरत शिक्षा में बूंदी राजकीय महाविधालय आगे रहा है. यहां वर्तमान में 6 हजार से अधिक छात्र अध्ययनरत है. अनुभवी एवं सर्वोच्य उपाधि प्राप्त 74 संकाय सदस्यों में से 48 पीएच.डी. एवं 21 एम. फिल. उपाधि प्राप्त, रसायनशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, गणित, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, संगीत, चित्रकला, भूगोल तथा लेखा एवं सांख्यिकी विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएँ संचालित हैं. भूगोल, चित्रकला, हिन्दी, संस्कृत, वनस्पतिशास्त्र एवं रसायनशास्त्र  विभागों में पीएच.डी. उपाधि के लिए शोध सुविधा उपलब्ध है. प्रयोगशालाएं उत्कृष्ठ उपकरणों से 8 विभाग कम्प्यूटर, इंटरनेट कनेक्शन, एल.सी.डी. प्रोजेक्टर, प्रिंटर एवं इन्टरकॉम से सुसज्जित हैं. बूंदी राजकीय महाविद्यालय की खास बात यह भी है कि राजकीय महाविद्यालय में राजस्थान का एकमात्र कॉलेज है जहां पर संगीत में पीजी करवाई जाती है. यहां एकमात्र आर्ट गैलरी के साथ चित्र काला विभाग भी है. 


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नैनवा कॉलेज का इतिहास 


बूंदी जिला मुख्यालय से नैनवा उपखण्ड 50 किलोमीटर दूर है. जहां भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा कॉलेज है. कॉलेज में हिंदी, अंग्रेजी, राजनीति, विज्ञान, इतिहास, भूगोल,समाजशास्त्र व चित्रकला विषय प्रमुख है. वर्ष 2003 में इस कॉलेज का निर्माण हुआ था. शुरुआत में यह कॉलेज निजी हाथो में चलाया गया. वर्ष 2013 में इसे सरकारी दर्जा दे दिया गया. फिर सरकार ने अगले वर्ष 2014 में इसे फिर से निजी हाथो में थोप दिया. फिर वर्ष 2019 में इसे सरकारी कर दिया जो अभी तक सरकरी सिस्टम से चल रहा है. इस कॉलेज में वर्तमन में 800 छात्र -छात्राएं अध्यनरत है. 


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