Udaipur: होली (Holi) के पर्व पर देशभर में कई मान्यताएं और इतिहास सुनने को मिलते हैं. सभी अलग-अलग जगहों पर होली को मनाया जाता है, लेकिन आपने सुना है कि ऊंची पहाड़ियां अग्नि स्नान (fire bath) करती है. जी हां, यह होता है राजस्थान (Rajasthan) के मेवाड़ यानी उदयपुर जिले (Udaipur District) में. बारिश में उदयपुर को हरी चादर ओढ़ा सुकून देने वाली यह अरावली पर्वत श्रृंखला (Aravalli mountain range) अग्नि परीक्षा देती है. पहाड़ियों पर होली के 10 दिन पहले से आग लगना शुरू हो जाती है जो पूरी गर्मी तक चलती रहती है. यह आग क्यों लगती है, इसके पीछे क्या मान्यता है आइए जानते हैं. 


पूरी गर्मी लगी रहती है आग
उदयपुर के देबारी सरपंच चंदन सिंह देवड़ा बताते हैं कि उदयपुर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली अरावली की पहाड़ियों हर साल अग्नि स्नान करती है. होली के करीब 10 दिन पहले से पहाड़ियों में आग लगना शुरू हो जाती है जो पूरी गर्मी में लगती रहती है. कई बार यह आग आवासीय क्षेत्र तक भी पहुंच जाती है जिसे बुझाने के लिए नगर निगम की दमकल और सिविल डिफेंस की टीमें पहुंचती है. आग से इंसानों को कोई हानि नहीं पहुंची लेकिन इस आग से हर साल कई वन्यजीव और वनस्पति नष्ट हो जाती है. 




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आग की मान्यता और वैज्ञानिक कारण
सरपंच देवड़ा ने बताया कि आग के पीछे मान्यता छूपी हुई है. लोग  कहते हैं कि आदिवासी क्षेत्र में होली पर मन्नत मांगने की परंपरा है, जिसमें कोई संतान प्राप्ति तो कोई अन्य मन्नत रखता है. मन्नत पूरी होने पर मगरा स्नान कराने की मांग रखता है. जैसे ही किसी की मन्नत पूरी होती है तो पहाड़ियों में आग लगा देते हैं. इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण को वन विभाग द्वारा यह बताया जाता है कि गर्मी की शुरूआत होते ही पतझड़ का मौसम आ जाता है और पेड़ों के पत्ते झड़ने लगते हैं. तेज हवा से पत्ते आपस में टकराते हैं तो उनमें आग लग जाती है. 


आग काबू करने के कोई संसाधन नहीं
सरपंच देवड़ा बताते हैं कि आग लगने के बाद इसे काबू करने के लिए ना तो विभाग के पास कोई पुख्ता संसाधन है और न प्रसाशन के पास. पहाड़ियों की आग आवासीय क्षेत्रों तक पहुंचती है तब जरूर आग को रोकने के लिए नगर निगम की टीम पहुंचती है. इसके अलावा कोई उपचार नहीं है.


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