Holi 2023 India: देश में होली के त्यौहार को भाईचारे का प्रतीक माना जाता है. होली भारत का प्रमुख पर्व माना जाता है. वैसे तो ब्रज में होली बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है. बुजुर्ग बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन होली का ठाड़ा गढ़ जाता है, जिस जगह होली जलती है, उस जगह कुछ  लकड़ी लाकर रख के ठाड़ा गढ़ जाता है. होली आने तक उस जगह काफी संख्या में लकड़ी मोहल्ले वासियों द्वारा इकठ्ठी की जाती है. होली का त्यौहार दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन सुबह से ही महिलाएं होली की पूजा कर कहानी सुनती है और शाम को होली जलाई जाती है. दूसरे दिन घुलण्डी मनाई जाती है, जिसमें सभी एक दूसरे के चेहरे पर रंग, गुलाल, अबीर लगाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं. होली का त्यौहार चाहे दो दिन का है, लेकिन होली के त्यौहार की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है.


होली का त्यौहार आने के कई दिन पहले ही महिलाएं घर में तरह-तरह के पापड़, आलू की चिप्स और गुजियां बनाने लगती है. होली के त्यौहार पर गुजिया बनाने का चलन ज्यादा होता है. लगभग प्रत्येक घर में गुजिया बनाई जाती है और उसका भोग ठाकुर जी कृष्ण भगवान को लगाया जाता है. होलिका दहन के दिन महिलाएं जहां पर होली का ठाड़ा गड़ा होता है, वहां पर जाकर होली की पूजा करती है और कहानी सुनाकर ठाकुर जी कृष्ण भगवान का भोग लगाया जाता है.


मिठाई के साथ ही बनती है गोबर की गूलरी


होलिका की पूजा करने के लिए महिलाएं घर में गोबर मंगाकर उसकी गूलरी भी बनाती है. महिलाएं जब होली की पूजा करने जाती हैं, तो गुलरी की दो माला होली जलाने के लिए राखी लकड़ियों पर डाल कर आती है. कुछ गुलरी की माला अपने घर के अंदर रखकर शाम को मोहल्ले या चौराहे पर जल रही होली से आग लाकर घर में होली जलाई जाती है और पूजा की जाती है.


बुजुर्ग महिलायें सुनाती है होलिका की कहानी


होली की पूजा के समय बुजुर्ग महिलायें हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की कहानी सुनाती है. महिलाएं बताती हैं कि दानवराज हिरण्यकश्यप को जब पता चला कि उसका पुत्र प्रहलाद विष्णु भगवान के अलावा किसी अन्य को नहीं मानता है, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को कहा की तुम प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ जाना. चूंकि होलिका को वरदान था कि अग्नि होलिका को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती है, लेकिन जब होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठी तो हुआ उल्टा होलिका जल गई और प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ. उसी दिन से होलिका की यद् में होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है. होली का त्यौहार सन्देश देता है कि जिस प्रकार भगवान ने प्रहलाद की रक्षा की थी, उसी तरह भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा उपस्थित रहते हैं.


होली के दूसरे दिन मनाई जाती है धुलण्डी 


होली रंगों का त्योहार है, हंसी-खुशी का त्योहार है. होली का नाम सुनते ही लोगों के मन में रंग-बिरंगे गुलाल और रंग आने लगते हैं. होली के दूसरे दिन धुलण्डी मनाई जाती है. सुबह से ही लोग अपने हाथों में गुलाल लेकर निकल जाते हैं और अपने आसपास रहने वाले लोगों को रंग, गुलाल और अबीर लगाकर गले लगाते हैं. जिससे कोई भी गिला शिकवा हो दूर हो जाये और आपसी प्रेम भाईचारा और सद्भाव बना रहे. जब कोई किसी के घर गुलाल या रंग लगाने जाता है, तो उसका भी काफी आदर सत्कार होता है. होली के पर्व पर जो भी चिप्स, पापड़, गुजिया, मिठाई, ठंडाई बनाई जाती है, उसे खिलाकर ही जाने दिया जाता है. इसलिए होली के त्यौहार को भाईचारे का त्यौहार भी कहा जाता है.


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