कर्नाटक विधानसभा के नतीजों के बाद अब राजस्थान इलेक्शन में क्या होगा?
कर्नाटक चुनाव के बाद राजस्थान विधानसभा चुनाव काफी अहम माना जा रहा है. राज्य में चुनाव के मद्देनजर पीएम मोदी पिछले 8 महीनों यानी 240 दिन में 5 बार राजस्थान जा चुके हैं.
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राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद बीजेपी को करारा झटका लगा है. कर्नाटक में भारी हार से बीजेपी को ये संकेत मिल चुका है कि जनाधार वाले बड़े नेताओं के बावजूद आम जनता अपना फैसला बदल सकती है. अगला विधानसभा चुनाव राजस्थान में है. बीजेपी बड़े बहुमत से राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए तमाम दांवपेंच लगा रही है. आगामी चुनाव को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदेश दौरे बढ़ते जा रहे हैं. पिछले 8 महीनों यानी 240 दिन में पीएम मोदी 5 बार राजस्थान जा चुके हैं
बीजेपी के लिए राजस्थान में जीत दर्ज करना जरूरी हो जाता है क्योंकि ये जीत राज्यसभा में अच्छी संख्या हासिल करने में मदद करेगी. साथ ही ये जीत लोकसभा चुनावों में भी फायदेमंद साबित होगी. कर्नाटक में मिली हार के बाद बीजेपी अपने चुनाव प्रचार अभियान में बदलाव कर सकती है. पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनाव प्रचार में उतारने पर विचार कर सकती है.
राजे वर्तमान में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने स्वयं के सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रही हैं. राजस्थान में बीजेपी के पास राजे के कद की कोई महिला नेता नहीं है. उन्होंने लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में अपनी ताकत साबित की है.
इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि पार्टी के आंतरिक आकलन ने ये संकेत दिया है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव में मुश्किल से साधारण बहुमत हासिल कर पाएगी. फिलहाल बीजेपी राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ जीत के फॉर्मूले की तलाश कर रही है, सवाल ये भी है कि क्या बीजेपी सत्तारूढ़ पार्टी के संभावित दलबदलुओं पर अतिनिर्भरता का जोखिम उठा सकती है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान में आरएसएस की पृष्ठभूमि वाले नेताओं सहित कई बीजेपी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस मुक्त भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए हम कांग्रेस-युक्त भाजपा बन रहे हैं. बीजेपी के अंदर ये सवाल भी उठने लगे हैं कि बीजेपी सीटें खोने की कीमत पर पारंपरिक राजनीतिक परिवारों को चुनाव टिकट देने से कैसे इनकार करेगी.
राजस्थान में बीजेपी ने 2013 में 200 विधानसभा सीटों में से 163 पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस बार पार्टी के लिए इतनी सीटें लाना एक चुनौती होगी. पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश के बाद, कर्नाटक दूसरा राज्य है जहां बीजेपी ने एक के बाद एक सत्ता खो दी है.
याद दिला दें कि हिमाचल प्रदेश में पीएम मोदी ने चार रैलियां की थी. डेढ़ महीने में पीएम मोदी ने करीब चार बार हिमाचल की जनता से मुलाकात की थी. कर्नाटक चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के बाबत बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी. पीएम मोदी खुद बीजेपी के पक्ष में धुआंधार चुनाव प्रचार कर रहे थे. लेकिन दोनों ही राज्यों के नतीजे बीजेपी के खिलाफ चले गए.
ऐसे में राजस्थान के चुनाव प्रचार में बीजेपी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने की जरूरत पड़ सकती है, और राजे एक बेहतरीन चेहरा मानी जा रही हैं, लेकिन इसमें पार्टी के अंदर राजे की मुखालफत करने वाले नेता सबसे बड़ी चुनौती बन सकते हैं. जानकारों का मानना है कि वसुंधरा राजे फैक्टर विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में अहम रहेगा.
ऐसे में बीजेपी को उन्हें लेकर जल्द ही कोई फैसला लेना पड़ेगा. जल्द ही उनकी भूमिका भी तय हो जाएगी. राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और बीजेपी कांग्रेस मुक्त भारत के अपने मिशन को राजस्थान जीत कर पूरा कर सकती है.
याद दिला दें कि 2021 के राजस्थान की तीन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राजे चुनाव प्रचार में नहीं उतरी थी. उनकी जगह पर बीजेपी ने उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुलाकर प्रचार करवाया था.
अब बात कांग्रेस की
2018 में राजस्थान में कांग्रेस की परेशानी मुख्य रूप से चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने को लेकर हुई थी. चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से कहा था कि वे तत्कालीन राज्य इकाई के प्रमुख पायलट की जगह गहलोत को मुख्यमंत्री के रूप में पसंद करते हैं. राहुल के पास इस पद के लिए गहलोत को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.
पायलट फिलहाल भ्रष्टाचार के खिलाफ पांच दिवसीय यात्रा पर हैं, यात्रा 15 मई को खत्म हुई. कांग्रेस ने पायलट की यात्रा से खुद को पूरी तरह से दूर कर लिया है. ये ठीक वैसा ही है जैसे पिछले महीने 'बीजेपी भ्रष्टाचार' के खिलाफ पायलट के अनशन से कांग्रेस ने खुद को दूर कर लिया था.
पायलट समय-समय पर ये मांग भी रख चुके हैं कि मुख्यमंत्री को बदला जाए और पार्टी गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान चुनाव न लड़े. ऐसे में चुनाव के नजदीक आते ही ये सवाल उठने लगा है कि क्या मंत्रिमंडल में गहलोत खेमा पायलट के वफादारों को लाने की सहमती जताएगा.
पायलट का कहना है कि अगर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी पर हमला करने से कांग्रेस कर्नाटक चुनाव जीत सकती है, तो राजस्थान में राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकारों (2003-08 और 2013-18) के दौरान कथित भ्रष्टाचार को उठाने की उनकी रणनीति का भी फायदा मिलेगा. कर्नाटक के नतीजों पर उनके ट्वीट में कांग्रेस के किसी नेता का नाम नहीं लिया गया और बीजेपी की हार के लिए केवल 'भ्रष्टाचार' को जिम्मेदार ठहराया गया है.
इसके विपरीत गहलोत ने कांग्रेस की जीत का श्रेय राहुल, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी के जोशीले प्रचार और बीजेपी के एक नेता द्वारा दायर 'फर्जी' मामले के जरिए राहुल को संसद की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने को दिया. बकौल गहलोत पार्टी द्वारा उठाए गए भ्रष्टाचार के मुद्दे के अलावा कांग्रेस ने कर्नाटक में रचनात्मक विकास के एजेंडे पर जीत हासिल की.
क्या कांग्रेस और बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही लडे़गी राजस्थान?
जब पायलट बीजेपी शासन के तहत कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हैं, तो बीजेपी गहलोत सरकार के तहत कथित भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करती है और कांग्रेस इस पर चुप्पी साध लेती है. वहीं पायलट हर बार गहलोत सरकार की नाकामी और उनकी सामाजिक कल्याण योजनाओं के फेल होने का मुद्दा उछालते रहते हैं. साथ ही मुख्यमंत्री के रूप में राजे के कार्यकाल से संबंधित भ्रष्टाचार के पुराने आरोपों को उठाने के बजाय पायलट बीजेपी को 'विभाजनकारी और सांप्रदायिक' राजनीति करने वाली पार्टी के रूप में निशाना बनाते रहते हैं.
कुछ जानकारों का ये मानना है कि कर्नाटक के नतीजे के बाद राजस्थान चुनाव में गहलोत बनाम राजे के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिल सकता है, जिसमें दोनों नेताओं को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में नहीं तो अपनी-अपनी पार्टियों के मुख्य प्रचारकों के रूप में पेश किया जा सकता है.
बीजेपी में सीएम का चेहरा कौन होगा?
बीजेपी ने राजस्थान में बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया है. इसके बावजूद अब भी इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है कि बीजेपी में अगले विधानसभा चुनाव में सीएम का चेहरा कौन होगा. बीजेपी के कई नेता अब भी अलग-अलग दावे करते नजर आते हैं. वसुंधरा राजे गजेंद्र सिंह शेखावत, और प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया तक के नाम का जिक्र हो चुका है.
2022 में अमित शाह और जेपी नड्डा राजस्थान दौरे के दौरान ये सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि अगला चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा, हिमाचल के बाद कर्नाटक के नतीजे के बाद संभवत: ये प्लान फेल है.
कांग्रेस में सीएम का चेहरे को लेकर कुछ भी साफ नहीं
राजस्थान में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग ने जोर पकड़े हुई है. वहीं अशोक गहलोत सोनिया गांधी के समक्ष राजस्थान के मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के नाम की सिफारिश सीएम के लिए कर चुके हैं.
कांग्रेस में युवा नेताओं को मौका दिया जाएगा ?
पायलट समर्थक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी और इंद्राज गुर्जर ने पायलट को सीएम बनाने की खुलकर पैरवी कर चुके हैं. इससे पहले बसेडर से कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने ने सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग करते हुए कहा था कि सीएम अशोक गहलोत को यह समझना चाहिए कि उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया है अब युवाओं को मौका दिया जाए.
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