राजस्थान (Rajasthan) के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) कांग्रेस (Congress) के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) हो सकते हैं. इसके संकेत उन्होंने खुद ही दिए हैं. बुधवार को उन्होंने दो बयान दिए, एक तो कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुनाव को लेकर और दूसरा राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर. गहलोत ने बुधवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद गहलोत ने कहा था कि अगर पार्टी के लोगों को लगता है कि अध्यक्ष पद या मुख्यमंत्री पद पर मेरी जरूरत है तो मैं मना नहीं कर सकता. मुख्यमंत्री बने रहने पर उन्होंने कहा था कि मैं वहां रहना पसंद करूंगा,जहां मेरे रहने से पार्टी को फायदा होगा. 


सचिन पायलट का खेमा


गहलोत के इस बयान ने राजस्थान कांग्रेस के एक खेमे में हलचल बढ़ा दी. यह खेमा है पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का. वो इस उम्मीद में बैठे हैं कि अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद से सीएम की कुर्सी उन्हें मिल सकती है. पायलट ने जुलाई 2020 में कांग्रेस से बगावत कर दी थी. उस समय कहा गया था कि उनकी बगावत के पीछे बीजेपी का हाथ है. पायलट खेमे का दावा था कि उनके पास कांग्रेस के 24 विधायकों का समर्थन है. कांग्रेस ने किसी तरह से इस बगावत को खत्म किया था. पार्टी ने सचिन पायलट से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी छीन ली थी. उसके बाद से ही पायलट बिना किसी पद के राजस्थान में हैं. 


अशोक गहलोत समय-समय पर अप्रत्यक्ष तौर पर सचिन पायलट की खिंचाई करते रहे हैं. आइए देखते हैं कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट की यह राजनीतिक अदावत कितनी पुरानी है. 


राजनस्थान विधानसभा का पिछला चुनाव


राजस्थान में पिछला विधानसभा चुनाव 2018 में हुआ था. उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी और कांग्रेस की कमान थी सचिन पायलट के पास. उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते ही कांग्रेस ने 2018 का विधानसभा चुनाव जीता था.चुनाव के बाद अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. दोनों नेताओं की खींचतान उसी समय से चली आ रही है. 


सचिन पायलट की बगावत


सचिन पायलट अपने गुट के विधायकों के साथ जुलाई 2020 में हरियाणा के एक रिजार्ट में पहुंचे.वो 11 जुलाई को दिल्ली आए, लेकिन कांग्रेस से दूरी बनाए रखी. उनके साथ राजस्‍थान कांग्रेस के बागी 24 विधायक भी थे.पायलट पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने का आरोप लगा. इसके बाद 13 जुलाई 2020 को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई.इसके लिए कांग्रेस ने विधायकों को व्हिप जारी किया. हिप पर दोनों के खेमों के दावे अलग-अलग थे. इस बैठक में पायलट खेमे के विधायक नहीं पहुंचे.


कांग्रेस विधायक दल की बैठक में 107 एमएलए हाजिर रहे. मीडिया के सामने उनको पेश किया गया. करीब 32 दिन तक यह ड्रामा चला. पायलट ने दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात की. इसके बाद यह विवाद खत्म हुआ. इसके बाद सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोडना पड़ा था.


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