Idana Mata Temple: राजस्थान में इडाणा माता करती हैं अग्नि स्नान, जानिए मंदिर से जुड़ी प्रचलित पौराणिक कथा
Idana Mata Temple: ईडाणा माता मंदिर का भक्तों के बीच विशेष महत्व है. ईडाणा माता अग्नि स्नान करती हैं, मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा भी प्रचलित हैं. माता के अग्नि स्नान को लेकर क्या कहते हैं पुजारी?
Idana Mata Temple Udaipur: आज चैत्र नवरात्रि के साथ विक्रम संवत 2081 की शुरुआत हो गई है. उदयपुर से 60 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध ईडाणा माता मंदिर स्थित है. ईडाणा माता ने नवरात्रि के पहले दिन अपना अग्नि स्वरूप दिखाया यानी माता ने आज सुबह अग्नि स्नान किया है. इसे देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचे और मां ईडाणा के अग्नि स्नान के दर्शन किया. अग्नि से माता का श्रृंगार सहित अन्य वस्तुएं जल गई. अग्नि स्नान के पीछे मान्यताएं भी हैं.
2.30 घंटे तक उठती रही लपटे
दरअसल आज सुबह जब दूर दूर से भक्त पहुंचे और माता ईडाणा के दर्शन कर रहे थे तब अचानक 10.30 बजे के करीब आग लगाना शुरू हो गई. देखते ही देखते आग को ऊंची लपटे उठने लगी. यह देख दर्शन करना आए श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाए. आग करीब 2.30 घंटे तक जलती रही. फिर माता का श्रृंगार किया गया.
उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर स्थित ईडाणा माता ने नवरात्रि के पहले दिन अंग स्नान किया है. माता ने अपना अग्नि स्वरूप दिखाया. हजारों साल से यहां प्रतिमा है. यहां माता ईडाणा अग्नि स्नान करतीं है. पिछला अग्नि स्नान पिछले वर्ष इन्ही दिनों में किया था.@abplive #idanamatamandir pic.twitter.com/nMx9sfKTC4
— vipin solanki (@vipins_abp) April 9, 2024
दरअसल मंदिर खुले चौक में हैं और ईडाणा माता की प्रतिम के आसपास चढ़ावा चढ़ाया जाता है. यहां बहुत सारे त्रिशूल भी लगे हुए हैं. जब माता ईडाणा अग्नि स्नान करती हैं तो चुनार सहित अन्य भक्तों का चढ़ावा जलकर राख हो जाता है लेकिन प्रतिमा को कुछ नहीं होता है.
पांडवों और राजा जयसिंह ने की थी पूजा
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि हजारों साल से विराजित माता ईडाणा अचानक अग्नि स्नान करती है. इसके पीछे का कारण किसी को नहीं पता है. मंदिर के आसपास अगरबत्ती नहीं लगाई जाती है, ताकि लोगों को भ्रम ना हो. उन्होंने यह बताया कि सदियों पहले यहां से पांडव गुजर रहे थे तो उन्होंने माता ईडाणा की पूजा की थी साथ ही एशिया के सबसे बड़ी मीठे पानी की झेल जयसमंद के निर्माण के समय राजा जयसिंह भी मंदिर पहुंसे थे और पूजा की थी. यहां अखंड ज्योत चलती है, जो कांच के अंदर रखी रहती है.
लकवाग्रस्त रोगी को लाते हैं, मान्यता यहां होते हैं ठीक
मंदिर में मान्यता है कि यहां लकवा से पीड़ित रोगियों को लाया जाता है और यहां से रोगी ठीक होकर जाते हैं. मंदिर में कई त्रिशूल लगे हैं. मान्यता है कि मानता पूरी होने के बाद यहां भक्त त्रिशूल चढ़ते हैं. बता दे कि पिछली बार आग पिछले साल इन्ही दिनों यानी नवरात्रि में लगी थी. इसके बाद अब लगी है.