Rajasthan News: किसी समय में सिर्फ छात्रों के लिए होने वाली इंजीनियरिंग की पढ़ाई में अब छात्राएं भी बराबर से चुनौती देने लगी हैं. देश के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थान आईआईटीज में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. जेईई-एडवांस्ड परीक्षा में शामिल होने वाली और आईआईटीज में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है. यह इस बात से साबित होता है कि गत 9 वर्षों में आईआईटी में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या लगभग 3 गुना हो गई है.
‘केन्द्र सरकार के प्रयासों से बदली स्थिति’
कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि देश में इंजीनियरिंग एजुकेशन के प्रति लड़कियों का रुझान बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बाद यह स्थितियां बदली है. केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 से लड़कियों के प्रवेश उत्साह देने के लिए फी-मेल पूल कोटे की घोषणा की थी. इस वर्ष 14 प्रतिशत सीटों पर फी-मेल पूल कोटे से छात्राओं को प्रवेश दिया गया.
इसके बाद वर्ष 2019 में यह कोटा बढ़ाकर 17 प्रतिशत और इसके बाद वर्ष 2020 से 20 प्रतिशत फी-मेल पूल कोटा कर दिया गया. लगातार बढ़ रहे इस प्रयास से गत 9 वर्षों में आईआईटी में एडमिशन लेने वाली छात्राओं की संख्या लगभग चार गुना हो चुकी है.
एक्सपर्ट आहूजा ने बताया कि आईआईटी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में मात्र 847 छात्राओं ने प्रवेश लिया था. वर्ष 2017 में 995 छात्राओं ने प्रवेश लिया. वर्ष 2018 में सुपरन्यूमेरेरी सीटें मिलाकर 1852 छात्राओं ने प्रवेश लिया, वर्ष 2019 में 2432, वर्ष 2020 में 3197, वर्ष 2021 में 3228, वर्ष 2022 में 3310, वर्ष 2023 में 3411 छात्राओं ने आईआईटी में प्रवेश लिया.
साल 2016 में 27778 से 2024 में 41020 छात्राएं
आहूजा ने बताया कि गत वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2016 में 27778 एवं 2017 में 29872, वहीं 2018 में 14 प्रतिशत फीमेल पूल कोटा होन से संख्या बढ़कर 31021, 2019 में 17 प्रतिशत फी-मेल पूल होने से 33249 एवं वर्ष 2020 में 32851, वर्ष 2021 में 32285, वर्ष 2022 में 33608 तथा वर्ष 2023 में 40645 एवं वर्ष 2024 में अब तक की सर्वाधिक 41020 छात्राओं ने परीक्षा में शामिल हुईं. यह छात्राओं की बढ़ती हुई संख्या इनका आईआईटी के प्रति बढ़ते हुए रूझान को दर्शाती है. वहीं प्रवेश के लिए क्वालिफाई छात्राओं की स्थिति में अंतर देखें तो 2016 में 4570 से बढ़कर 2024 में 7964 हो गई है.
क्यों बढ़ रही छात्राओं की संख्या?
आहूजा के अनुसार सरकार आईआईटी में प्रवेश के लिए छात्राओं की संख्या को बढ़ाने एवं आईआईटी में छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात को बैलेंस करने के लिए छात्राओं को सुपरन्यूमेरेरी सीटों पर प्रवेश देना शुरू किया गया था. इससे पीछे की रैंक वाली छात्राओं को भी आईआईटी में प्रवेश लेना आसान हो गया था. इस स्थिति को देखते हुए छात्राओं का आईआईटी की पढ़ाई की तरफ रूझान बढ़ा.
अब स्थिति यह आ गई है कि फीमेल पूल कोटे की प्रत्येक सीट के लिए कम्पीटिशन लड़कों की तरह होता जा रहा है. सुपरन्यूमेरेरी फीमेल पूल सीटों के विकल्प मिलने के बाद इस वर्ष आईआईटी मुंबई सीएस में छात्रों के प्रवेश का कटऑफ ओपन कैटेगिरी में 68 आल इंडिया रैंक रहा, वहीं छात्राओं के लिए फीमेल पूल कोटे से कटऑफ आल इंडिया रैंक 421 तक रहा.
ये भी हैं कारण
इंजीनियरिंग एजुकेशन में अब फील्ड वर्क के अलावा ऑफिस वर्क भी बहुत बढ़ रहा है. इसमें डिजाइन, क्रिएशन और एक्जीक्यूशन में ऑफिस वर्क ज्यादा होने लगा है. पहले कोर ब्रांचेज में सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रोनिक्स, माइनिंग फील्ड वर्क की बहुत मांग होती थी, कंस्ट्रक्शन साइट्स पर ड्यूटी देनी पड़ती थी, इसे लेकर लड़कियां थोड़ा इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने से बचती थीं.
अब डाटा साइंस, कम्प्यूटर साइंस, एआई से संबंधित कई ऐसे कोर्सेज आ रहे हैं जो सुरक्षित वातावरण में अच्छे कॅरियर के साथ छात्राओं के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं. इसलिए भी लगातार इंजीनियरिंग शिक्षा में छात्राओं का रूझान बढ़ रहा है.
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