Kota News: कोटा में इस मंदिर के पास 300 बीघा जमीन, फिर भी खो रहा अस्तित्व, जानें वजह
राजस्थान के कोटा शहर में स्थित प्रसिद्ध चंद्रेसल मठ शिव मंदिर राजस्थान का एक ऐसा मंदिर है जिसके पास 300 बीघा जमीन और खाते में 2 करोड़ रुपये हैं.
Shiva Math Temple Chandresal: राजस्थान के कोटा शहर में स्थित प्रसिद्ध चंद्रेसल मठ शिव मंदिर राजस्थान का एक ऐसा मंदिर है जिसके पास 300 बीघा जमीन और खाते में 2 करोड़ रुपये हैं. लेकिन फिर भी यह मंदिर आपना अस्तित्व खोता जा रहा है. लगातार प्रशासन और सरकार की उपेक्षा के कारण मंदिर जगह जगह टूट चूका है.
कोटा शहर के नजदीक 1100 साल पुराने इस चन्द्रेसल मठ शिव मंदिर का पूरा भवन क्षतिग्रस्त हो चुका है. मंदिर की हालत जर्जर हो चुकी है, दीवारें दरकने लगी हैं. मंदिर की अनदेखी के चलते इस ऐतिहासिक मंदिर का गुंबद बारिश में भरभरा कर गिर गया.
मंदिर के पास 300 बीघा जमीन, खाते में जमा हैं 2 करोड़
मंदिर से जुड़े दीनदयाल नागर का कहना है इस चन्द्रेसल मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालु हमेशा डर में रहते हैं कि पता नहीं कब कौन सा हिस्सा उनके ऊपर टूटकर गिर पड़ेगा. यहां के स्थानीय लोग इस बाबत कलेक्टर और तहसीलदार से भी मिल चुके हैं. मठ और मंदिर की मरम्मत की कई बार मांग भी की जा चुकी है. मगर काम तो पूरा नहीं हो सका और मंदिर की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती जा रही है.
मंदिर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है
मंदिर मठ में विराजे भगवान शिव के नाम से 300 बीघा जमीन आज मौजूद है. इसके साथ ही मंदिर के पास अभी तक 2 करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं. बावजूद इसके मठ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए दिन-ब-दिन ढ़हता जा रहा है. हालांकि यहां पर काम शुरू हो चुका है मगर उसकी चाल अभी बहुत धीरे तल रही है. मंदिर का गुंबद गिरने से मुख्य मंदिर को भी अब खतरा हो गया है.
मंदिर परिसर में प्राचीन कलात्मक शैली के पत्थर खिसक चुके हैं, दीवारें दरक रही हैं. मंदिर में से एक शिवलिंग गायब है, नंदी क्षतिग्रस्त पड़े हुए हैं, कुआं कचरे से भर गया है. मूर्तियां और कलाकृतियां इधर-उधर बिखरी पड़ी हैं. यहां बने अन्य मंदिरों की भी कमोबेश यही स्थिति है.
पूजा करने के दौरान श्रद्धालुओं में रहता है खौफ
9वीं एवं 10वीं शताब्दी में बना यह मंदिर ऐतिहासिक एवं कलात्मक दृष्टि से अनोखा है. इसके चारों तरफ दीवारें हैं और किनारे पर चंद्रलोई नदी बह रही है, जिसमें सैंकडों की तादात में मगरमच्छ रहते हैं. मंदिर के गर्भगृह और मंडल में अलंकृत दुर्गा, यम, कुबेर, वरूण, वायु और नटराज की पत्थर पर उकेरी प्रतिमाएं हैं. यह स्थल गिरी संप्रदाय का तांत्रिक स्थल रहा है.
यहां मठाधीश की नियुक्ति बनारस से होती थी, जिसमें आज भी पूजा की जाती है. लेकिन श्रद्धालुओं की पूजा अब खौफ के साये में होती है. चंद्रेसल मठ की समय पर देखभाल न होने से बारिश उसके लिए काल बनती जा रही है. मठ की इमारत लगातार नष्ट होने के कगार पर आ पहुंचा है.
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