Jhalawar News: पहलवान के अंतिम यात्रा में शिष्यों ने दिखाय करतब, बेटी ने पूरी की पिता की अंतिम इच्छा
Rajasthan के झालावाड़ में अपने दिवंगत पहलवान के अंतिम यात्रा में शिष्यों ने करतब दिखाया. वहीं इस मौके पर उनकी बेटी ने भी करतब दिखाकर पिता विदाई दी.
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Jhalawar News: अक्सर आपने किसी दिवंगत व्यक्ति की अंतिम यात्रा में गमगीन माहौल में ढोल बाजे के साथ अंतिम यात्रा को निकलते हुए देखी होगी, लेकिन राजस्थान के झालावाड़ जिले के गंगधार कस्बे में अखाड़े के एक उस्ताद यानी पहलवान के देहांत हो जाने पर उनके शिष्यों ने उन्हें अनोखे तरीके से अंतिम विदाई दी. इस दौरान अखाड़े के लोग अपने उस्ताद की शव यात्रा में विभिन्न शारीरिक करतब दिखाकर अखाड़ा खेलते हुए चल रहे थे. यही नहीं इस दौरान दिवंगत पहलवान की बेटी ने भी आंखों में आंसू लिए रोते हुए अखाड़ा खेल कर अपने पिता को उनकी पसंद की श्रद्धांजलि दी.
अखाड़ा खेलकर शिष्यों ने दी अंतिम विदाई
जानकारी के अनुसार झालावाड़ जिले के गंगधार क्षेत्र के निवासी पहलवान लखन लाल शर्मा का देहांत हो गया था. अखाड़े के उस्ताद को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके शिष्य भी पहुंचे लेकिन पुष्पांजलि के बाद उनके शिष्यों ने अपने उस्ताद को उनकी पसंद की श्रद्धांजलि देना उचित समझा और इसी के चलते कस्बे में निकाली गई उनकी अंतिम यात्रा में उनके शिष्यों ने विभिन्न शारीरिक करतब दिखाते हुए अखाड़ा खेला.
इस दौरान अपने दिवंगत पिता का अखाड़े से प्रेम को मद्देनजर नजर रखते हुए दिवंगत पहलवान की बेटी ने भी आंखों में आंसू लिए रोते हुए अखाड़ा खेल कर अपने दिवंगत पिता को उनकी पसंद की श्रद्धांजलि दी, इस नजारे को देख जहां कस्बे के आम लोग भावभीनी है तो वहीं सजल नेत्रों से पहलवान को श्रद्धांजलि भी दे रहे थे. लेकिन इस तरह की अनोखी अंतिम यात्रा पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.
बेटी ने पूरी की पिता की इच्छा
गौरतलब है कि पहलवान लखन लाल शर्मा गंगधार कस्बे में पहलवानी करते थे और कई युवाओं को उन्होंने पहलवानी करना सिखाया था. ऐसे में क्षेत्र के युवाओं ने गुरु के रूप में मानते थे और उनसे पहलवानी सीखते थे. क्षेत्र में महावीर व्यायामशाला में आचार्य जी नाम से लखन लाल शर्मा पहचाने जाते थे. उनकी बेटी प्रिया शर्मा ने बताया कि पिता जब भी 100 बरस पूरे होने की बात कहते थे तो उनकी अंतिम इच्छा यही रहती थी कि उनकी अंतिम यात्रा अखाड़ों के पीछे चले उनके पीछे वह खुद भी अखाड़ा खेलते हुए यात्रा निकाले.
इस पर बेटी ने अपने पिता की उस बात को याद करते हुए सभी सीखने वाले युवाओं को अंतिम यात्रा के साथ साथ अखाड़ा खेलने की बात कहते हुए उनकी अंतिम इच्छा पूरी करवाई. बेटी ने भी अखाड़ा खेला और शिष्यों ने भी. घर से कस्बे में स्थित मुक्तिधाम तक अखाड़ा खेलते हुए शिष्य चल रहे थे गंगरार मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया.
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