(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Independence Day 2022: आजादी से पहले महात्मा गांधी ने राजस्थान में दलित बच्चों के लिए शुरू करवाया था स्कूल
राजस्थान में दलित बच्चे की मौत का मामला सुर्खियों में है. ऐसे में लोगों को ये जानना जरूरी है कि आजादी से पहले महात्मा गांधी ने राजस्थान में दलित बच्चों के लिए स्कूल शुरू करवाया था.
75th Independence Day: भारत देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव वर्षगांठ मना रहा है. इस बीच राजस्थान के जालोर में मटकी से पानी पीने पर एक शिक्षक ने दलित छात्र को इतना पीटा कि उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद आज राजस्थान पूरे देश की सुर्खियों में है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसी राजस्थान में आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दलित बच्चों के लिए स्कूल शुरू करवाया था.
अंग्रेजी हुकूमत काल में स्वाधीनता संग्राम के दौरान अजमेर और ब्यावर मेरवाड़ा स्टेट का केंद्र रहा है. गरम दल के कई क्रांतिकारियों ने यहां लंबे समय तक पनाह ली है. भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विजय सिंह पथिक, जयनारायण व्यास व अन्य कई स्वतंत्रता सेनानियों की यह कर्मस्थली रही है. ने यहां शरण ली. स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी ने भी कई बार यहां आकर देशभक्ति की ज्वाला जगाई.
1921 में महात्मा गांधी आए राजस्थान
राजस्थान में अजमेर और ब्यावर ही ऐसे स्थान थे जहां रियासत न होकर, अंग्रेजी हुकूमत थी. शायद यही वजह रही कि क्रांतिकारियों ने यहां आकर शरण ली और यहीं से अंग्रेजों को भारत से भगाने की रणनीति बनाई. वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन हुआ. तब महात्मा गांधी यहां आए थे. उस वक्त अंग्रेजों ने गांधी को अजमेर में गिरफ्तार करने की योजना बनाई थी. लेकिन आंदोलन की आग इतनी तेज थी कि अंग्रेज गांधी को गिरफ्तार करने में नाकाम रहे. हिंदुस्तान की आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु भी ब्यावर आए थे.
हैप्पी स्कूल दिया नाम
इतिहास के अनुसार, महात्मा गांधी तीन बार अजमेर आए थे. सबसे पहले वर्ष अक्टूबर 1921 में यहां आकर असहयोग आंदोलन में शामिल हुए. दूसरी बार मार्च 1922 में जमीयत उलेमा की कॉन्फ्रेंस में शिरकत करने आए. तीसरी बार जुलाई 1934 में दलित उद्धार आंदोलन में शामिल होने आए थे. दलित उद्धार आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने अजमेर की दलित बस्तियों का दौरा किया था. उस वक्त दलित बच्चों की शिक्षा को लेकर बापू ने चिंता जताई और पाठशाला खोलने का फैसला किया. अजमेर के जादूगर मोहल्ले में इस पाठशाला की शुरूआत हुई. 6 दलित बच्चों को शिक्षा देने के साथ इस पाठशाला में अध्ययन शुरू हुआ. पहले यह पाठशाला एक झोपड़ी में संचालित हुई, फिर स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल माहेश्वरी ने स्कूल के लिए पक्के कमरों का निर्माण करवाकर इसे हैप्पी स्कूल नाम दिया.
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