Independence Day 2022 Kota History: देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली, लेकिन इतिहास गवाह है कि चंबल की नगरी कोटा में तो आजादी के दीवानों ने इसके पांच साल पहले ही रामपुरा कोतवाली (वर्तमान में रामपुरा कोतवाली थाना) पर तिरंगा झंडा फहरा दिया था. क्रांतिकारियों ने सरकार की गोलियों की बौछार भी झेली, लेकिन आखिर कोतवाली में प्रवेश कर सरकार को धूल चटा दी. इतिहासविदों के अनुसार देश की आजादी की लड़ाई में अगस्त क्रांति महत्वपूर्ण साबित हुई. इस क्रांति की ज्वाला कोटा में भी जली. क्रांतिकारियों में ऐसा जोश उमड़ा कि 14 अगस्त 1942 कोटा के इतिहास में दर्ज हो गया.


सड़कों पर निकल पडे थे छात्र करों या मरों का नारा लगाते हुए


8 अगस्त 1942 को मुम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का अधिवेशन हुआ. इसमें अंग्रेजों भारत छोड़ो का प्रस्ताव पारित किया गया. इसमें गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया. रातों-रात गांधीजी व अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. देशभर में यह खबर आग की तरह फैल गई और कोटा में 9 अगस्त को छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया. हरबर्ट कॉलेज वर्तमान में (राजकीय महाविद्यालय) के छात्र अंग्रेजों भारत छोड़ो और करो या मरो का नारा लगाते हुए सड़कों पर निकल पड़े. इसका ऐसा असर हुआ कि जनता भी साथ हो गई. प्रदर्शन व जुलूस का दौर चलता रहा.


लाठी चार्ज में 150 लोग हुए थे घायल


14 अगस्त 1942 को कोटा के पॉलीटिकल एजेन्ट के कोटा आने की खबर आई. इस दिन कोई उपद्रव न हो इसे देखते हुए सरकार के प्रतिनिधियों ने प्रजामंडल के नेता शंभूदयाल सक्सेना व एडवोकेट वेणी माधव शर्मा को 13 अगस्त को बुलाया. उन पर 14 अगस्त कोई गड़बड़ी नहीं करने के लिए दबाव डाला. नहीं माने तो दोनों को गिरफ्तार कर लिया. इससे लोगों में आक्रोश फैल गया. सैकड़ों लोग कोतवाली पर एकत्रित हो गए और दोनों नेताओं को छोडने की मांग करने लगे. पुलिस ने ध्यान नहीं दिया तो लोग कोतवाली में घुसने का प्रयास करने लगे. इसमें जोरावर सिंह जैन सफल भी हो गए. इससे क्रोधित होकर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया. इसमें 150 लोग घायल हो गए.


पीछे के दरवाजे से भेज दिया था जेल


पुलिस ने वेणी माधव की पत्नी को धक्का देकर गिरा दिया और सोने का लॉकेट छीन लिया. उसी समय मुम्बई के अधिवेशन से लोक सेवक समाचार पत्र के संपादक पंडित अभिन्न हरि लौटे. वे समाचार लेने के लिए कोतवाली पहुंचे तो आंदोलन से उखड़ी पुलिस ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया. चारों को पुलिस ने कोतवाली के पिछले दरवाजे से केन्द्रीय कारागार में भेज दिया और 13 अगस्त की रात को ही धारा 144 लगा दी.


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तीन दिन तक तिरंगा लहराकर पुलिस को कर दिया था बंद


इन लोगों की भागीदारी से कोटा रामपुरा कोतवाली में अगस्त क्रांति में 3 दिन तक तिरंगा झंडा लहराकर पुलिस को बंद रखा था. पंडित अभिन्न हरि का नाम वनस्थली विद्यापीठ उदयपुर में ईमानदार जनप्रतिनिधि के रूप में दर्ज है. वहीं 15 अगस्त 1955 को गोवा को आजाद कराने के लिए हाड़ौती से 42 लोगों का जत्था गया था. उसमें बारां से सुंदरलाल पटवा सत्याग्रह के बाद लौटे थे. इनको स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान मिला. वहीं गोवा आंदोलन में रामगंजमंडी के पन्नालाल यादव शहीद हो गए थे. देश के आजादी आंदोलन में कोटा-बारां की सक्रिय भागीदारी रही है.


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