Jaipur: 15 अगस्त 1947 को गोविंद देव मंदिर जाकर नेताओं ने की थी प्रार्थना, भेदभाव मिटाने के लिए हुआ था कार्यक्रम
Independence Day 2024: राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीणचंद्र छाबड़ा बताते हैं कि जिस दिन देश को आजादी मिली उस दिन जयपुर में हर कोई खुश था, तिरंगा झंडा हर हाथ में फहरा रहा था.
Independence Day 2024 Special: देश को जिस दिन आजादी मिली, उस दिन राजस्थान के जयपुर में अलग माहौल था. यहां पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इतना ही नहीं उस दिन यहां पर भेदभाव मिटाने के लिए एक ज्योनार का आयोजन भी हुआ था. स्वतंत्रता कायमरहे और देश में खुशहाली रहे इसलिए नेताओं ने माणक चौक से गोविंद देव मंदिर तक पैदल यात्रा की थी.
वहां जाकर पूजा-पाठ किया था. हर तरफ तिरंगा झंडा फहराया जा रहा था. लोग मिठाइयां बांट रहे थे. कोई भेदभाव नहीं था. यह आंखों देखा हाल राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीणचंद्र छाबड़ा ने बताया. उनका कहना है कि उनकी उम्र उस समय 17 साल थी. उस दौरान उन्होंने सभी कार्यक्रमों में भाग लिया था. सबकुछ उनके सामने हो रहा था.
हरिजनों के साथ हुई थी ज्योनार
जयपुर के परकोटे में मानो उस दिन दिवाली मनाई जा रही थी. हर कोई खुश था, तिरंगा झंडा हर हाथ में फहरा रहा था. नेताओं ने भी खूब दिलचस्पी दिखाई थी. प्रवीणचंद छाबड़ा बताते हैं कि उस दिन समाज से भेदभाव हटाने के लिए जैन समाज के सोहनलाल दुग्गड़ ने एक ज्योनार का आयोजन किया था.
आजादी का को दिन...
— Santosh kumar Pandey (@PandeyKumar313) August 14, 2024
15 अगस्त 1947 को जयपुर में कैसा था माहौल ? सुनिए 95 वर्ष के वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण चंद छाबड़ा को ...@abplive pic.twitter.com/oRZdPy8wQj
महिलाएं और पुरुष ढोल बजाते हुए शामिल हुए थे. उस दौरान जयपुर रियासत के दो मंत्री दौलतराम भंडारी और देवीशंकर तिवाड़ी के अलावा राज्य प्रजा मंडल के नेता टीकाराम पालीवाल, गुलाबचंद कासलीवाल, रूपचंद सोगाणी, गफ्फार अली, राजरूप टांक, विजयचंद जैन, राजमल सुराणा सभी शामिल हुए थे.
प्रवीणचंद छाबड़ा का कहना है कि इस ज्योनार की रोचक बात यह थी कि इसमें भोजन हरिजनों ने खुद परोसा था और सभी ने मिलकर खाना खाया. छाबड़ा बताते हैं कि वो ज्योनार बुलियन हॉल की छत पर हुई थी. उसमें भोजन के बाद हरिजन पुरुष और महिलाओं को पांच कपड़े और पांच-पांच रुपये भी दिए गए थे. उस दौरान जयपुर रियासत के दीवान वीटी कृष्णमाचारी के सानिध्य में प्रार्थनासभा आयोजित की गई थी.
इसके बाद माणक चौक से चाकसू के चौक गए. उस दौरान महाराजा मानसिंह लन्दन में थे, जहां से उन्होंने प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन को बधाई पत्र लिखा था.
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