Independence Day 2022: सन् 1947 में आजादी के बाद हर हिंदुस्तानी खुली हवा में सांस ले रहा था. लंबे संघर्ष के बाद मिली आजादी से सभी खुश थे. फिर भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ. तभी एक ऐसा गदर हुआ कि अमन में आग लगा दी. हर ओर तहलका मच गया. बरसों बाद मिली खुशियां चंद मिनटों में मातम में बदल गई. आजादी के बाद 19 अक्टूबर 1947 के दिन ब्यावर के शायर मोहम्मद उस्मान का निकाह हुआ था. आजादी के साथ निकाह की खुशियां दोगुनी हो गई थी. उनके घर में जश्न का माहौल था. पूरा परिवार खुशियों में झूम रहा था. तभी एक युवक दौड़ते हुए खबर लाया कि खरवा रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन पहुंची है जिसमें सैकड़ों लोगों की लाशें हैं. यह स्पेशल ट्रेन भरतपुर से पाकिस्तान जा रही थी.


मिनटों में फैल गई सनसनी
खरवा रेलवे स्टेशन पर लाशें लेकर पहुंची ट्रेन की खबर से देखते ही देखते कुछ ही मिनटों में पूरे शहर में सनसनी फैल गई. सांप्रदायिक लोग हाथों में हथियार थामे दौड़े. सभी के सिर पर खून सवार था. दंगे में ब्यावर के दो बेगुनाह लोग मारे गए. इनमें एक औरत और एक बच्चा था. ट्रेन में इतनी लाशें आई थी कि एक कब्र में तीन-चार लोगों को दफन किया गया. यह सब देख मोहम्मद उस्मान के जेहन में ये पंक्तियां उभर आईं और उन्होंने लिखा कि ''जाते-जाते वह हमें कुछ इस तरह भड़का गए, हिन्दू-मुस्लिम को अजीजो देश वो लड़वा गए.''


Rajasthan Weather Forecast Today: राजस्थान में बारिश से अभी नहीं मिलेगी राहत, जानें- आज कहां-कहां हो सकती है बारिश


अंग्रेजों का अत्याचार देख बने शायर
देशभक्तों के त्याग और अंग्रेजों के अत्याचार को देखने के बाद उस्मान के किशोर मन में भी देश प्रेम का भाव जगा और उन्होंने भावनाओं को शब्दों में पिरोना शुरू कर दिया. अंग्रेजी शासनकाल में शायरी करना अपराध माना जाता था. इसके बावजूद उस्मान ने ये पंक्तियां लिखी, 'चले जाओ ए अंग्रेजों, तुम्हें अब यहां से जाना है', 'सारे जहां से आपसी झगड़े मिटाऊंगा, इक इंकलाब और जमाने में लाऊंगा', 'जलने ना दूंगा अपने चमन को निफाक (दुश्मनी) से, नफरत की आग खून से अपने बुझाऊंगा.'


Independence Day: बूंदी के इस क्रांतिकारी ने अंग्रेजों के छुड़वाए थे पसीने, अंग्रेज हुक्मरान की गोली से हुए थे शहीद