राजस्थान के बांसवाड़ा के कुशलगढ़ में 13 जून को आयोजित एक जनसभा में सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने हॉर्स ट्रेडिंग का मुद्दा उठाया था. उन्होंने जुलाई 2020 के सियासी संकट का जिक्र करते हुए कहा था कि निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया (Ramila Khadiya) की कार की डिक्की में पैसे तक रखवा दिए गए थे, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया. 


निर्दलीय विधायक का दावा


अखबार 'दैनिक भास्कर' ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस दावे पर निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया से बात कर उनकी राय जानी. जब उनसे पूछा गया कि आपका पैसे देने की किसने व कितनी पेशकश की थी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गया समय दोहराना नहीं चाहती. उन्होंने कहा कि यह खेल किसका था, यह तो नहीं कह सकती.उन्होंने कहा कि उन्हें पैसों का कोई लोभ-लालच नहीं है.उन्होंने कहा, ''मैं मेरी जनता का गला कैसे घोंट सकती हूं? जनता ने निर्दलीय होने पर भी मुझे जिताया. मैं पैसे ले लेती तो आज सीएम गहलोत यह नहीं कहते कि रमीलाजी की मांगों को कैसे मना कर सकता हूं.


मुख्यमंत्री को फोन कर दी जानकारी


जब उनसे पूछा गया कि आपसे कैसे और कब संपर्क किया गया? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नौ जुलाई की रात 2:10 बजे मैंने साहब (मुख्यमंत्री) को फोन किया. उन्हें बताया कि कुशलगढ़, बांसवाड़ा तक कुछ लोग आए हैं. पैसे लेकर आए हैं. क्या है ये? इस पर साहब ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है.उन्होंने कहा कि सुबह तो मीडिया भी आ गई थी. अपनी-अपनी डफलियां बजाने के लिए कोई भी किसी से भी संपर्क कर सकता है. 13 जुलाई को मेरे पति की पुण्यतिथि थी. इसके अगले दिन 14 तारीख को मुझे लेने के लिए चॉपर भेजा गया था.


मख्यमंत्री  अशोक गहलोत अब तक पांच विधायकों को सरकार बचाने का व्यक्तिगत श्रेय दे चुके हैं. इसके साथ ही बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकों, 13 निर्दलीयों की पीठ थपथपाने के साथ यह भी बयान दे चुके हैं कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल के कारण उनकी सरकार बची. 


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