Jaisalmer News : जैसलमेर में ठीक 50 साल पहले आज के ही दिन भारत पाक युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान सेना के छक्के छुड़ा दिए थे. छाछरो सहित पाकिस्तान की अस्सी किलोमीटर तक की जमीन पर भारतीय सेना ने फतेह कर कब्ज़ा कर लिया . हमले में 16 दिसम्बर 1971 को शाम चार बजे पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के समक्ष समर्पण किया था.


इस युद्ध में जयपुर के 12 जवानों समेत राजस्थान के 307 सपूतों ने शहादत दी थी. दो मोर्चे पर लड़े गए इस युद्ध में राजस्थान की सीमा पर जयपुर के ब्रिगेडियर भवानी सिंह के नेतृत्व में छाछरो इलाके को जीता हुई थी. पाकिस्तान की हुकूमत से परेशान वहां के हिन्दूओं ने तब राहत की सांस ली थी, लेकिन बाद में शिमला समझौते में यह जमीन लौटा दी गई. 50 हजार हिन्दू परिवार रातों-रात भारत आने को मजबूर हो गए. उन लोगों ने कई माह तक तम्बुओं में रात बिताई. छाछरो आज भी उन्हें भुलाए नहीं भूल रहा है.

10 पैरा ने छाछरो तक किया कब्जा
छाछरो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में तहसील मुख्यालय है. यह बाड़मेर से करीब 160 किलोमीटर की दूरी पर है और गडरा रोड बॉर्डर से मात्र 70 किलोमीटर दूर है. पाकिस्तान की 80 किमी इलाके पर कब्जा थल सेना स्पेशल फोर्स 10 पैरा कमांडों द डेजर्ट स्कॉर्पियो की स्थापना 1 जून, 1967 को लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस उथाया के नेतृत्व में थार में विशेष ऑपरेशन के लिए की गई थी. वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में ऑपरेशन कैक्टस लिली के दौरान 10 पैरा को पाकिस्तान के अंदर घुसकर 80 किमी से ज्यादा के क्षेत्र में सिंध क्षेत्र के छाछरों तक हमला की टास्क दी गई थी.

ब्रिगेडियर सवाई भवानी सिंह को मिला था महावीर चक्र
पल्टन ने युद्ध के दौरान दुश्मन धरती छाछरो, वीरवाह, नागरपरकार, इस्लाम कोट पर 6-7 दिसम्बर 1971 की रात कई हमले किए. इन हमलों के कारण भारतीय सेनाओं को दुश्मन के भीतरी क्षेत्रों में जाकर बडक्वे क्षेत्रों पर कब्जा करने का मौका मिला. इस अदम्य साहस से, पल्टन को युद्ध सम्मान छाछरो तथा थियेटर ऑनर सिंध पदान किए गए. इस साहसिक नेतृत्व, दूरदर्शिता के फलस्वरूप 10 पैरा कमाण्डो स्पेशल  स्कोर्पियोश के तत्कालीन कमान संभाल रहे अधिकारी ब्रिगेडियर सेवानिवृत्त सवाई भवानी सिंह को महावीर चक्र पदान किया गया. इसके अतिरिक्त, यूनिट को भी दो वीर चक्र, 3 सेना मेडल और एक मेन्शन-इन-डिस्पेच पदान किया गया.


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