Banswara News: उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा शहर की सड़कों पर जन सैलाब उमड़ा. हर चौराहे पर लोगों की भीड़ थी. देखो, देखो कौन आया, शेर आया, शेर आया के नारे लग रहे थे. बांसवाड़ा के लाल की अंतिम विवाद का मंजर भावुक कर देने वाला था. शैलेश पांचाल सेना में नायाब सूबेदार के पद पर तैनात थे. देहरादून में ड्यूटी के दौरान वे शहीद हो गए.
पार्थिव शरीर को देहरादून से बांसवाड़ा के जाया गया. नम आंखों से सैकड़ों लोग बांसवाड़ा के सपूत को अंतिम विदाई देने निकले. नायाब सूबेदार शैलेश पांचाल की मौत हार्ट अटैक से देहरादून में हो गई थी. परिजनों को सूचना मिलने पर माहौल गमगीन हो गया. परिवार के सदस्य देहरादून पार्थिव देह को लेने गए.
बांसवाड़ा के सपूत ने होली पर आने का किया था वादा
शैलेश पांचाल के पिता लक्ष्मी पांचाल भी सेना आर्मी से रिटायर्ड हुए हैं. उन्होंने बताया कि शैलेश से अंतिम बार बात हुई थी. उसने होली के त्यौहार पर घर आने का वादा किया था. उसके लिए छुट्टी भी ले ली थी. लेकिन शैलेश पांचाल तिरंगे में लिपटा आया. सेना के जवानों ने पार्थिव देह को ट्रक से नीचे उतारा. पत्नी भागयेश्वरी की आंखों से आंसू निकल पड़े. 5 वर्षीय बेटे को कहा कि पापा को पोएम सुनाओ उठ जाएंगे. पत्नी की आखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे.
तिरंगे में लिपटा आया सेना के वाहन में पार्थिव शरीर
शहीद नायब सूबेदार का पार्थिव देह फूलों से सजाकर सेना के वाहन में निकाला गया. महाराणा प्रताप चौराहा पर मौजूद बड़ी संख्या में युवाओं ने देशभक्ति के जयघोष लगाए और शहीद के पार्थिव शरीर पर फूलों से श्रद्धांजलि अर्पित की. सेना का वाहन महाराणा प्रताप चौराहा से हेमू कालानी चौराहा, मोहन कॉलोनी चौराहा, कलक्ट्री चौराहा, पुराना बस स्टैंड, कस्टम चौराहा, सिंटेक्स गेट होते हुए शहीद के निवास पर पहुंचा.
शहीद की पत्नी भाग्येश्वरी पांचाल, पिता लक्ष्मीचंद पांचाल, मां हेमलता, पुत्र उत्कर्ष और कुणाल ने अंतिम दर्शन किए. सामाजिक रस्म पूरी होने कर शहीद का शव निवास स्थान से खांदू कॉलोनी के मोक्षधाम पर ले जाया गया. उदयपुर से आए सेना के 8 सशस्त्र जवानों ने हवा में फायर कर शहीद को श्रद्धांजलि दी.