Constitution Day 2023: संविधान बनने के दो महीने बाद हुआ लागू, जानें गणतंत्र दिवस और संविधान दिवस में क्या है अंतर?
Constitution Day 2023: पूरे देश में रविवार (26 नवंबर) को संविधान दिवस मनाया जा रहा है. संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरूआत कब हुई? इस लेख में इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे.
Indian Constitution Day: दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में 26 नवंबर का दिन संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसी दिन राष्ट्रीय कानून दिवस भी मनाया जाता है. हर भारतीय नागरिक के लिए 26 नवंबर का दिन बेहद खास और गौरवान्वित करने वाला होता है. इसी दिन वो ग्रंथ बनकर तैयार हुआ था, जिससे भारत के प्रत्येक नागरिक को आजादी और समानता के साथ जीने के अधिकार दिया है. 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा में वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया गया था. इसी की याद में हर साल संविधान दिवस मनाते हुए एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का जश्न मनाते हैं. जहां एक तरफ हमारा संविधान हमें आजादी के साथ जीने का हक देता है, तो दूसरी तरफ हमारे कुछ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है.
भारत के संविधान दुनिया के अन्य देशों के संविधान के मुकाबले में कई दृष्टिकोण से विशेष है. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है. इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से अडाप्ट किया गया है. इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और सरकार की भूमिका के साथ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है? उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है? इन सभी बातों का जिक्र संविधान में किया गया है.
26 जनवरी को क्यों अपनाया संविधान?
भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हो गया. अब आपके मन में ये सवाल होगा कि संविधान 26 नवंबर 1949 में बनकर तैयार हो गया, तो फिर इसे दो महीने की देरी से यानी 26 जनवरी 1950 को क्यों लागू क्यों गया? आखिर इतना इंतजार क्यों किया गया था. दरअसल, संविधान के प्रारुप को 26 नवंबर 1949 को सदन में पेश किया गया. इस दौरान सभा के 299 सदस्यों में से 284 ने सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किया और स्विकृति मिलने के बाद इसको अपना लिया गया, लेकिन इसको पूर्ण रुप से लागू करने के लिए 26 जनवरी 1950 का दिन चुना गया.
इस तारीख को चुनने की वजह ये थी कि 1950 से 20 साल पहले 26 जनवरी 1930 को रावी नदी के तट पर तिरंगा फहराया गया और देश की पूर्ण आजादी या पूर्ण स्वराज्य का नारा दिया गया. इसी की याद में संविधान को लागू करने के लिए दो महीने इंतजार किया गया. देश का लिखित पूरा संविधान तैयार करने में 2 साल 11 महीने 18 दिन लगे थे. संविधान के ड्राफ्टिंग भारत रत्न बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की अध्यक्षता में पूरा किया गया. 26 नवंबर 1949 तक इसको पूरा कर लिया गया. संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजायदा ने अंग्रेजी में अपने हाथ से लिखी थी, यह बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है.
26 नवंबर और 26 जनवरी में क्या है फर्क?
देश में संविधान दिवस मनाने का फैसला कब किया गया? इस दिन की नींव साल 2015 में रखी गई. इस साल संविधान के निर्माता और जनक डॉ. बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती थी. 26 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय और आधिकारिकता मंत्रालय ने इस दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाने के लिए केंद्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था. 26 जनवरी और 26 नवंबर में जानिए यह फर्क है? 26 नवंबर 1949 को हमारा लिखित संविधान बनकर तैयार हुआ था. उसे संविधान सभा द्वारा अपनाया गया, लेकिन इस तारीख के दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान देश में लागू किया गया. 26 नवंबर का दिन संविधान दिवस और कानून दिवस होता है. 26 जनवरी का दिन गणतंत्र दिवस होता है.
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