Jaipur News: उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन (Ahmed Hussain and Muhammad Hussain) दोनों सगे भाइयों को पद्मश्री के लिए चुना गया है.दोनों जयपुर के रहने वाले हैं.क्लासिकी गजल गायकी करते हैं.इनके पिता उस्ताद अफजल हुसैन भी गजल और ठुमरी के मशहूर उस्ताद माने जाते रहे.एक कार्यक्रम में हुसैन बंधू ने बताया था कि इनके पिता ने कहा था कि दोनों भाई एक दूसरे की ताकत बनना. ये दोनों भाई पिता की उस सीख को ही निभा रहे हैं.इनके पिता ने इन दोनों भाइयों को तालिम दी थी.


आकाशवाणी से शुरू हुआ सफर


जानकारी के अनुसार, उस्ताद अहमद हुसैन और मुहम्मद हुसैन ने 1959 में जयपुर के आकाशवाणी से सफर शुरू किया. इन दोनों भाइयों ने कई बार कहा है कि जमाना बदला है तो संगीत पेश करने का तरीका भी बदलेगी ही, जैसे मौसम, खयालात, दिमाग और हालात सब बदल जाते हैं तो संगीत भी बदलता है. ये दोनों भाई वर्षों से छाए हुए हैं. लेकिन इन्हे अब बड़ा इनाम मिल गया है.


कैसे पहुंचे मुंबई और पहला एलबम


पिछले साल मध्य प्रदेश के एक कार्यक्रम में खुद मोहमद हुसैन ने बताया था कि एक बार हम जयपुर में परफॉर्म कर रहे थे. तब वहां सितारा देवी आईं थीं. उस घटना को हम नहीं भूलते. वहां पर परफॉर्मेंस के बाद सितारा देवी अपने साथ मुंबई चलने के लिए कह दिया. जब पूरी बात समझ आई तो पता चला कि वहां काम तो मिल रहा था, लेकिन पैसा कम था. इसके चलते हम जयपुर आकर काम करते थे और फिर कुछ पैसे जोड़कर मुंबई चले जाते थे.


जयपुर से मुंबई की खूब दौड़ लगाई है.इसमें भी बड़ा मोड़ आया जब सिताराजी ने हम दोनों भाइयों को कल्याणजी-आनंदजी से मिलवा दिया. उसके बाद 1970 में एलबम ‘गुलदस्ता’ रिलीज हुआ. जिसका गाना 'मैं हवा हूं कहां वतन मेरा'बहुत पसंद किया गया. यह एलबम इतना लोकप्रिय हुआ कि हमने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और उसके बाद चीजें बदलती गई. खूब कार्यक्रम किए, लेकिन पिता की बात याद रही. दोनों भाई एक दूसरे की ताकत बनना.


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