Jagdeep Dhankar Story: सेना में भर्ती होना चाहते थे उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल जगदीप धनकड़, जानिए उनके छात्र जीवन की दिलचस्प कहानी
Jagdeep Dhankar Profile: देश के उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल एनडीए (NDA) के उम्मीदवार जगदीप धनकड़ सेना में जाना चाहते थे और पढ़ाई में बहुत ज्यादा होशियार थे.
Udaipur News: देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग चल रही है. दौड़ में एनडीए (NDA) से जगदीप धनकड़ (Jagdeep Dhankar) और विपक्ष से मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) है. बता दें कि इसके लिए वोटिंग सुबह 10 बजे शुरू हुई जो 5 बजे तक चलेगी. इसलिए आज हम आपको रूबरू करवाने जा रहे हैं जगदीप धनकड़ से, जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के झुंझनु में रहते थे. जगदीप धनकड़ शुरू से ही सेना में जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने 5वीं कक्षा में चित्तौड़गढ़ स्थिति सैनिक स्कूल में एडमिशन लिया था. जिसके बाद वो स्कूल के सांगा हाउस होस्टल में रहने लगे और इसी होस्टल के वार्डन आज आपको उनके बारे में कुछ खास बातें बताने जा रहा है.
पढ़ाई में कैसे थे जगदीप धनकड़ ?
चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल से सेवानिवृत्त हुए वरिष्ठ शिक्षक हरपाल सिंह राठी ने बताया कि, मैं सैनिक स्कूल के सांगा हाउस होस्टल का वार्डन था. साल 1962 में जगदीप धनकड़ 5वीं कक्षा में भर्ती हुए और 1969 में पासआउट हो गए. वो यहां 11वीं तक पढ़े. वो बहुत मेधावी छात्र थे. साल में दो बार अभिभावकों के पास बच्चों की रिपोर्ट आती थी, जगदीप या तो कक्षा में पहले नंबर पर आते थे या फिर दूसरे पर. उनकी गणित और अंग्रेजी विषय पर बहुत अच्छी पकड़ थी. बड़ी बात तो ये कि उनके बड़े भाई कुलदीप धनकड़ उनसे एक कक्षा आगे थे लेकिन कई बार जगदीप उनको शिक्षा में सहयोग करते थे. यहीं नहीं उनकी लेखनी इतनी अच्छी थी कि सभी देखकर चौंक जाते थे.
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एनडीए में चयन हुआ, लेकिन इस वजह से हुए बाहर
शिक्षक राठी ने आगे बताया कि, वो पढ़ाई के साथ-साथ अन्य एक्टिविटी में भी हमेशा आगे रहते थे. स्कूल में ही इंटरनल चैंपियनशिप होती थी. एक बार उस जनरल चैंपियनशिप को सांगा हाउस ने जीता था. जिसमें जगदीप का बड़ा योगदान था. उनका नेशनल डिफेंस एकेडमी में भी चयन हो गया था लेकिन दूर दृष्टि की कमी के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा. फिर वो जयपुर गए और लॉ की. वो विधायक, सांसद और राज्यपाल के साथ एक अच्छे वकील भी रहे हैं.
घर पर अभी भी होते सामाजिक कार्य
शिक्षक राठी ने आगे बताया कि, वो झुंझनु में एक छोटे गांव के के रहने वाले है. आज उनका यहां एक घर भी है जहां सामाजिक कार्य होते हैं. यहां महिलाएं सिलाई सीखने आती है और उसके साथ कई अन्य कार्य भी होते हैं. जिसका खर्च वो खुद उठाते है. अभी भी जगदीप कई बार यहां आते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि वो मुझसे अभी भी जुड़े हुए हैं और मैसेज में बात होती है. उन्होंने आने वाले शपथ ग्रहण समारोह में भी मुझे बुलाया है.
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