Rajasthan: विधानसभा में बोले उपराष्ट्रपति धनखड़- कोविड से बड़ी बीमारी है जनप्रतिनिधि का सड़कों पर प्रदर्शन
Vice President Rajasthan Visit: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अनुशासन की कमी संस्था को जर्जर और लक्ष्य को कुंठित कर देती है. विधान मंडल और संसद में बहस, चर्चा, विचार-विमर्श यही एक अमृत मंडल है.
Vice President Jagdeep Dhankhar Rajasthan Visit: जयपुर (Jaipur) के दौरे पर आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में आयोजित अभिनंदन समारोह में जनप्रतिनिधियों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया. लोकतंत्र के मंदिर में संबोधन देते हुए उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को संवैधानिक कर्तव्यों की पालना करनी चाहिए. अनुशासन के बिना मानव जीवन अधूरा है. समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot), विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी (CP Joshi) और नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया (Gulab Chand Kataria) समेत प्रदेश सरकार के मंत्री और जनप्रतिनिधि मौजूद थे.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुशासन की कमी संस्था को जर्जर और लक्ष्य को कुंठित कर देती है. विधान मंडल और संसद में बहस, चर्चा, विचार-विमर्श यही एक अमृत मंडल है. हमारे जनप्रतिनिधियों का आचरण अनुकरणीय होना चाहिए. आज के समय में संसद और विधानसभा सदनों में सदस्यों के आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संसद और विधानसभा के सामने यह चुनौती बनती जा रही है कि जनप्रतिनिधि अपनी बात कहते हुए अमर्यादित हो जाते हैं, जो जनता के बीच मजाक बनते हैं. इसके लिए मंथन और चिंतन होना चाहिए. इन घटनाक्रमों में गिरावट आनी चाहिए. प्रजातंत्र को पनपाना हर जनप्रतिनिधि का दायित्व है.
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सड़कों पर प्रदर्शन करना गलत: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जिस तरह 60 के दशक में संसदीय मर्यादा का पालन होता था, वैसा आज नहीं हो रहा है. संसद और विधानसभा में बैठकर जिन्हें चर्चा करनी चाहिए, वे सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. यह चिंताजनक है. यह कोविड से भी बड़ी बीमारी की तरह है. इस बीमारी को रोका जाना चाहिए. सभी को कानून के दायरे में रहना चाहिए. अनुशासन ही इसका एकमात्र निदान है. उपराष्ट्रपति धनखड़ ने लोकसभा और विधानसभा में होने वाले हंगामे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सदन में व्यवधान करना सत्ता के पक्ष में जाता है. उन्होंने कहा, "मेरा आकलन है कि एक अच्छे कार्य को करने में अगर चर्चा न हो, वाद-विवाद न हो, यदि विचार न आए, तो वह अधूरा ही रहता है."
राजनीतिक आदर्शों को किया याद
उन्होंने कहा कि अभी एक ऐसा युग है, जहां कुछ भी सीक्रेट नहीं है. सब कुछ खुला है. जनता सब जानती है. जिन्हें डेमोक्रेसी को पनपाना चाहिए, वही लोग इसके लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं. मेरा मानना है कि सभी को एक मंच पर आने की आवश्यकता है. इसके लिए उन्होंने ऋग्वेद का श्लोक सुनाते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य एक हो, भावना सुसंगत हो, हमारे विचार एकत्रित हो. संबोधन के दौरान धनखड़ ने अपने राजनीतिक आदर्शों को याद किया. उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में दो ही प्रेरणास्त्रोत हैं, एक ताऊ देवीलाल और दूसरे भैंरो सिंह शेखावत, जिनकी वजह से आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं. उन्होंने राजस्थान में गर्मजोशी से हुए स्वागत के लिए सीएम गहलोत, स्पीकर जोशी और जनप्रतिनिधियों का आभार जताया.
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