Rajasthan News: सालों से प्रमोशन न होने की वजह से राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) के परिसर में कुलपति सचिवालय के सामने 6 प्रोफेसर अनिश्चितकालीन धरना आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग को सिंडिकेट बैठक में मान ली गई थी लेकिन विश्वविद्यालय का प्रशासन नहीं मान रहा है. एक प्रोफेसर तो इतने दुखी है, उन्होने रजिस्ट्रार को जेल भेजने तक की मांग कर डाली. वहीं सिंडिकेट के एक सदस्य ने बताया कि इन प्रोफेसर्स की मांग मान ली गई है. 27 दिसंबर की बैठक में सबने बहुमत से इनकी मांग को पास कर दिया है. अब इसे प्रशासन क्यों रोक रहा है यह अलग विषय है. नरेश मलिक, रमेश चावला, महिपाल यादव और पीएल बत्रा धरना दे रहे हैं.
'विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं मान रहा'
धरना दे रहे डीएसडब्ल्यू नरेश मलिक ने बताया कि हमारा प्रमोशन 19 मई 2001 ड्यू है जिसे लागू होना था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी हठधर्मिता पर लगा हुआ है. जबकि सरकार ने भी दो बार आदेश जारी कर दिया था. वहीं सिंडिकेट ने भी बैठक में इसे पास कर दिया था. हमारी मांग जबतक नहीं मानी जाएगी तब तक हमारा धरना जारी रहेगा. हमारा आर्डर निकालना चाहिए.
'दिया जाए प्रमोशन'
वहीं दूसरे प्रोफेसर ने बताया कि हम लोग 26 दिसंबर से धरने पर बैठे हैं. हमारा मामला सरकार को भेजा गया था. विश्वविद्यालय ने हमारा मामला सरकार को भेजा और सरकार ने 28 फरवरी 2022 को विश्वविद्यालय को लेकर लिखा कि इनकी मांग जायज है. इन्हें प्रमोशन दे दिया जाए. सरकार के कहने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन मांग नहीं मान रहा है. इससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
'रजिस्ट्रार की मनमानी है'
प्रोफेसर ने कहा रमेश चावला भी धरने पर बैठे हैं. रजिस्ट्रार की मनमानी है नहीं तो सबकुछ हो जाता. 27 साल की नौकरी के बाद यह हाल है. सिंडिकेट की मीटिंग के बाद भी रजिस्ट्रार उसे नहीं मान रही है. रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये. उन्हें तो जेल भेज देना चाहिए. ये मनमानी कबतक चलेगी. सरकार को भी रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. उन्हें तो जेल भेज देना चाहिए. सरकार के कहने के बाद भी कुछ नहीं हो रहा है.
दरअसल, राजस्थान यूनिवर्सिटी में 2009 में 6 रिसर्च एसोसिएट को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रिडेजीगनेट किया गया था. इनमें अशोक सिंह, सुरेन्द्र सिंह, नरेश मलिक, रमेश चावला, महिपाल यादव और पी एल बत्रा शामिल हैं.
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