Jaipur Animal Doctor Strike: जयपुर में पशुधन भवन परिसर में राजस्थान पशु चिकित्सा संघ से जुड़े बड़ी संख्या में एनिमल डॉक्टर आमरण अनशन पर बैठे हैं. ये लोग दिसंबर महीने से लगातार अपनी मांग को लेकर अनशन पर हैं. आज इस अनशन में राज्य के अलग-अलग जिलों से महिलाएं भी धरने पर बैठ गई. इनके साथ बच्चे भी अनशन पर बैठे हैं.
संघ अध्यक्ष डॉ इंद्रजीत ने बताया कि हमारी मांगें कुछ भी ऐसी नहीं है, जिसे सरकार न मान पाए. उन्होंने कहा कि हमारी तो 11 सूत्रीय मांगें ही हैं. हम सभी को उम्मीद भी है कि जल्द ही मुख्यमंत्री हमारी मांगों पर काम करेंगे. अनशन में झुंझुनूं से आई हुईं डॉ सोनिया शर्मा और अजमेर की नीतू अरोड़ा ने बताया कि हमारी मांगे मानी जाय. हम विषम परिस्थितियों में रहकर काम करते हैं. हम पशुओं की सेवा में पीछे नहीं रहते हैं.
तीन डॉक्टर्स की बिगड़ी थी तबीयत
कल अनशन पर बैठे तीन डॉक्टर्स की तबीयत बिगड़ गई थी, जो पीछे कई दिनों से आमरण अनशन पर थे. पांचवें दिन आमरण अनशन कर रहे डॉ. शशिकांत शर्मा, डॉ. रमेश चौधरी, डॉ. लोकेश शर्मा का पीएचसी गांधी नगर के चिकित्साधिकारी द्वारा जांच किया गया. जांच के बाद तीनों डॉक्टर्स को आगामी अनशन के लिए अनफिट घोषित कर एसएमएस अस्पताल रेफर कर दिया गया. एंबुलेंस द्वारा तीनों डॉक्टर्स को एसएमएस अस्पताल ले जाया गया. अनशन पर इनकी जगह तीन अन्य एनिमल डॉक्टर डॉ. रामकैलाश नागौर, डॉ. सुनील शर्मा अजमेर, डॉ. भरत सिंह राहड़ झुंझुनूं बैठे.
ये हैं इनकी मांग
राज्य के एनिमल डॉक्टर समान काम समान वेतन सिद्धांत के आधार पर मांग कर रहे हैं. राज्य के एनिमल डॉक्टर मानव डॉक्टर्स के समकक्ष ग्रेड-पे, डीएसीपी, नॉन प्रेक्टिस एलाउंस, पीजी इंक्रीमेंट की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा कोर्ट में लंबित 900 पशु चिकित्साधिकारी की लंबित भर्ती को पूर्ण करवाने इत्यादि की मांग कर रहे हैं. एनिमल डॉक्टर अपनी मांगों के लिए 17 दिसंबर से 9 जनवरी तक दिन क्रमिक अनशन पर रहे.
मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होने के कारण 10 जनवरी से फिर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. वेटरनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉ इंद्रजीत सिंह ने कहा कि एनिमल डॉक्टर अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर बिना कार्य बहिष्कार किये गांधीवादी पद्धति से अपना पक्ष रख रहे हैं. वहीं सरकार उनके धैर्य की परीक्षा ले रही है.
लंपी बिमारी में जान लगा दिया दांव पर
नरेंद्र जाखड़ ने बताया कि पिछले दिनों हम लोगों ने लंपी बिमारी के दौरान गायों को बचाने में अपनी जान को दांव पर लगा दिया था. सरकार हमारी ही मांग नहीं मान रही है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. जब तक हमारी मांगें नहीं मान ली जाती तब तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.
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