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राजस्थान की भजनलाल सरकार के एक साल पूरे, उपलब्धियों के बावजूद बरकरार हैं ये बड़ी चुनौतियां

Bhajan Lal Government First Anniversary: राजस्थान में बीजेपी सरकार के एक साल पूरे होने का जश्न मनाया जा रहा है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने केंद्र से आने वाले 'पर्ची' आदेशों पर काम करने का आरोप लगाया.

Jaipur News: राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने रविवार को एक साल पूरा कर लिया. पहले साल की उपलब्धियों में 1.24 लाख से अधिक नौकरियां, पेपर लीक माफिया पर कार्रवाई और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को शामिल किया जा रहा है. 

सरकार ने अपने पहले साल में ही जयपुर में निवेश शिखर सम्मेलन किया और 34 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. यह राजस्थान की अर्थव्यवस्था को बढ़ाकर 350 अरब डॉलर करने के सरकार के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है जिसके लिए सरकार ने इस साल के बजट में पूंजीगत व्यय में 65 प्रतिशत की वृद्धि की है. 

राजस्थान सरकार का एक साल पूरा

राज्य में विधानसभा की सात सीट के लिए हालिया उपचुनाव में बीजेपी की पांच सीट जीतने का श्रेय भी शर्मा के सशक्त नेतृत्व को दिया जा रहा है. हालांकि, कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की स्पष्ट कलह, पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नए जिलों के गठन, 2021 की विवादास्पद सब-इंस्पेक्टर भर्ती और ‘‘एक राज्य, एक चुनाव’’ जैसे मुद्दों पर निर्णय नहीं ले पाने की स्थिति सरकार के सामने चुनौती बनी रही है. 

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दावा करते हैं कि राज्य की बीजेपी सरकार में नौकरशाही हावी हो गई है. उन्होंने सरकार पर निर्णय नहीं कर पाने और केंद्र से आने वाले ‘‘पर्ची’’ आदेशों पर काम करने का आरोप लगाया. पहली बार विधायक बने शर्मा ने पिछले साल 15 दिसंबर को भौगोलिक रूप से देश के सबसे बड़े राज्य की बागडोर संभाली थी.

उस समय लोग वसुंधरा राजे (दो कार्यकाल) और अशोक गहलोत (तीन कार्यकाल) के 25 साल तक राज्य पर शासन करने के बाद नए मुख्यमंत्री को लेकर उत्साहित थे. हालांकि, उनके मन में नए मुख्यमंत्री के ‘प्रदर्शन’ को लेकर आशंका भी थी. शर्मा को राजे जैसे दिग्गजों की ‘अनदेखी’ करते हुए चुना गया. हालांकि, कड़ी मेहनत और संतुलित दृष्टिकोण के साथ शर्मा ने सरकार में कई उपलब्धियां दर्ज कर और अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देकर खुद को साबित किया, जिसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी प्रशंसा मिली. 

BJP ने बताया उपलब्धियों भरा साल 

एक साल पूरे होने पर राज्य सरकार ने बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण और शहरी विकास, परिवहन और उद्योग समेत विभिन्न क्षेत्रों में कई उपलब्धियां गिनाई हैं. सत्ता में आने के बाद शर्मा ने पेपर लीक मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा की. एसआईटी ने 2021 में भर्ती अभियान में चयनित 50 से अधिक प्रशिक्षु उपनिरीक्षकों समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया. 

सरकार ने 32,254 पदों पर नियुक्तियां दी हैं और 91,928 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों को अतिरिक्त 2,000 रुपये देने वाली ‘मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि’ योजना के तहत 65 लाख से अधिक किसानों को कुल 653.4 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई. एक हजार रुपये की पहली किस्त जून में दी गई थी और दूसरी किस्त 13 दिसंबर को हस्तांतरित की गई. 

इसी तरह पूर्वी राजस्थान के जिलों की सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं के लिए संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र द्वारा एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं देने का आरोप लगाया था. बीजेपी सरकार ने राज्य की सत्ता में आने के बाद इस परियोजना को प्राथमिकता से लिया. 

सरकार ने ‘राइजिंग राजस्थान निवेश शिखर सम्मेलन’ का भी आयोजन किया और 34 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. यह पहल पहले वर्ष में की गई ताकि अगले चार वर्षों में निवेश प्रतिबद्धताओं को जमीन पर उतारा जा सके. पीएम मोदी ने नौ दिसंबर को शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था, ‘‘बहुत ही कम समय में यहां मुख्यमंत्री भजनलाल की पूरी टीम ने शानदार काम करके दिखाया है. मुख्यमंत्री भजनलाल की राजस्थान को विकसित करने के लिए कुशलता और प्रतिबद्धता प्रशंसनीय है.’’

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद राजे जैसी दिग्गज हस्तियों के मुकाबले बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले शर्मा को चुना गया. दरअसल, राजे ने ही पार्टी हाईकमान द्वारा भेजी गई ‘‘पर्ची’’ को पढ़कर उनके नाम की घोषणा की थी. नयी सरकार के गठन के एक महीने के भीतर ही बीजेपी अपने उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री बनाने के बावजूद किसान बहुल श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गई.  कांग्रेस उम्मीदवार की मौत के कारण करणपुर में विधानसभा चुनाव स्थगित कर दिया गया था. 

इसके बाद लोकसभा चुनाव के नतीजों से स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की 25 में से 14 सीटें ही मिलीं. कांग्रेस को आठ और उसके ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के सहयोगियों ने शेष तीन सीट जीतीं. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी 25 सीट पर कब्जा जमाया था और 2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने सभी सीट (भाजपा-24, राष्ट्रीय लोक दल-एक) जीतीं. 

बीते साल कृषि मंत्री मीणा भी चर्चा में रहे. कभी उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माना जा रहा था. उन्होंने लोकसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान की कुछ सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों को जीत दिलाने में विफल रहने का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया, लेकिन मीणा कई बार सरकार के लिए परेशानी वाले हालात पैदा करते रहे. 

तमाम चुनौतियों और दबावों के बावजूद बीजेपी ने राज्य में हालिया उपचुनावों में सात में से पांच सीट जीतकर कहानी बदल दी. शर्मा और उनकी टीम ने चुनौतियों का सामना किया और सरकार के पहले साल को महत्वपूर्ण उपलब्धियों वाला साल बताया. हालांकि, सरकार 2021 की एसआई भर्ती पर फैसला नहीं ले पाई है. मुख्यमंत्री शर्मा को फैसला लेना है कि परीक्षा रद्द की जाए या नहीं. समीक्षा के बावजूद नवगठित जिलों पर फैसला भी लंबित है. 

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