टेलीप्रॉम्पटर का जिक्र और ठहाकों की गूंज... जावेद अख्तर बोले- अच्छे दोस्त हैं, नहीं पूछ रहा कौन बंद हो जाता है?
Jaipur Literature Festival 2025: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख़्तर की किताब 'सीपियां' का विमोचन हुआ. सुधामूर्ति ने इसका विमोचन किया.

Jaipur Literature Festival News: 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025' के एक सत्र के दौरान बड़ा रोचक वाक़या सामने आया. प्रसिद्ध गीतकार जावेद अख्तर के साथ मशहूर कलाकार अतुल चतुर्वेदी बातचीत कर रहे थे. सत्र में गीत-संगीत यानी श्रुति आधारित लेखन की चर्चा चल रही थी तब अतुल ने जावेद अख़्तर से कहा कि ये श्रुति आधारित लेखन के बारे में बताए कि पहले आप ख़ुद सुनते और समझते है और उसके बाद कलम को अपना काम करने देते हैं.
इस क्रम में अतुल ने ये भी कहा कि जब आप बोलते हैं तो मुझे पता है कि आप टेलीप्रॉम्पटर पर स्क्रिप्ट लेकर नहीं पढ़ते. टेलीप्रॉम्पटर बंद भी हो जाये तो आप देश के कुछ लोगों की तरह बंद नहीं होंगे. आप बोलते रहेंगे. अतुल की बात पूरी होते ही सत्र में मौजूद सैंकड़ों लोग ठहाके साथ हँसने लगे.
जावेद अख़्तर भी अतुल चतुर्वेदी के इस बयान पर चुटकी लेने से बाज़ नहीं आए. उन्होंने ने इसका अपने अंदाज़ में जवाब दिया. जावेद बोले ये मेरे बहुत अच्छे दोस्त है इसलिए मैं इनसे ये नहीं पूछ रहा कि कौन बंद हो जाता है? इनकी जगह कोई और होता तो मैं जरूर पूछता, नहीं तो फिर ये बंद हो जाते. लेकिन दोस्त हैं इसलिए नहीं पूछ रहा. जावेद अख्तर की इस अंदाज़-ए-गुफ्तगू पर पांडाल में एक बार फिर ठहाका गूंज उठा.
आपको बता दें कि जयपुर में गुरुवार (30 जनवरी) से साहित्य का महाकुंभ जारी है. तीन फरवरी तक चलने वाले इस ज्ञान के मेले में दुनिया भर के साहित्यकार, लेखक, कवि और कलाकार शामिल हो रहे हैं.
पहले दिन, जावेद अख़्तर ने ज्ञान सीपियां नामक सत्र में अपनी बात रखी. इस मौके पर जावेद अख्तर की किताब 'सीपियां' का विमोचन हुआ. ये किताब दोहों पर आधारित है और सुधामूर्ति ने इसका विमोचन किया.
आज की युवा पीढ़ी भाषा से कट चुकी है- जावेद अख्तर
जावेद अख़्तर ने अपनी किताब के बारे में कहा, ''दोहे के बारे में आज के लोगों को जानकारी कम है इसलिए दोहे और कहावत लोगों की भाषा में शामिल नहीं होते. कुछ दोहे ऐसे है जो सैकड़ों साल पहले लिखे गए थे. संगीत में सात सुर होते है, ऐसे ही एक सरगम मानवीय भावनाओं की भी होती है. वही सरगम दोहों में सुनाई देती है. यानी पर्ल ऑफ़ विजडम. बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में एडमिशन दिलवाते हैं लेकिन मातृ भाषा को समझना भी जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा, ''आज की युवा पीढ़ी भाषा से कट चुकी है और इसकी वजह से युवा पीढ़ी परंपरा और संस्कार-संस्कृति से दूर हो रही है. इंग्लिश भी जरूरी है लेकिन अपनी भाषा को जानना भी जरूरी है.
जावेद अख्तर ने रहीम के दोहे का किया जिक्र
जावेद अख्तर ने रहीम के दोहे का जिक्र करते हुए कहा, ''रहीम, अकबर के नौ रत्न में शामिल थे और तुलसीदास उनके गहरे दोस्त थे. जो शायरी नहीं कर पाते वो हिंदू मुसलमान हैं. शायर तो शायर ही होते हैं. कविता प्यार की भाषा है.'' रामचरित मानस का जिक्र करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि रामचरित मानस की तारीफ रहीम ने भी की थी जो बड़ी बात थी.
जावेद अख्तर ने अमीर खुसरो का भी जिक्र किया
जावेद अख्तर ने एक उदाहरण से बताया कि 'गौरी सोई सेज पर' जैसी बात अमीर खुसरो ने उस वक्त पीर निज़ामुद्दीन के निधन पर लिखी थी. अगर आज ये बात कही जाती तो बवाल मचता. कैसे पीर को गौरी लिख दिया. शब्द का काम एक चीज का अर्थ आप तक पहुंचाना होता है. सही शब्द के इस्तेमाल से सुनने वाले के सामने वो दृश्य बन जाता है.
जाने माने गीतकार ने आगे कहा कि मैंने अपनी किताब में जिन नब्बे दोहों को चुना है वो हमारे आम जन के दिल के करीब है. हमारे देश में कामयाबी की परिभाषा बहुत अलग है. बुनियादी जरूरतें पूरी होते ही हम खुद को खुश मान लेते है. कामयाबी ये होती है कि आपका काम कितना अच्छा है.
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