Jaipur Mayor By-Election: नगर निगम ग्रेटर (जयपुर) की महापौर की कहानी बड़ी उलझी हुई है. कभी उनकी बर्खास्ती होती है तो कभी बहाली. गुरुवार दोपहर 2 बजे तक महापौर के लिए उपचुनाव हुआ. इसी बीच राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ा झटका दिया है. निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया. जिसमें सरकार ने सौम्या गुर्जर को बर्खास्त किया था. जस्टिस महेश गोयल ने सौम्या गुर्जर की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकार को सौम्या का पक्ष सुनना चाहिए था. याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका दिए बगैर महापौर पद से बर्खास्त करने पर हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया.


2 बजे तक हुई वोटिंग
नए महापौर के उपचुनाव के लिए सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक मतदान हुआ. मतदान में बीजेपी और कांग्रेस के सभी पार्षदों ने हिस्सा लिया. मतदान के दौरान ही हाईकोर्ट का फैसला आने से हलचल बढ़ गई है. मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद शाम 4 बजे तक काउंटिंग शुरू होने की बात थी. अब हाईकोर्ट के फैसले को देखते हुए निर्वाचन आयोग मतगणना के बारे में अपना फैसला सुनाएगा.


इसलिए उपचुनाव की स्थिति बनी
वर्ष 2020 में निगम के चुनाव हुए थे. जिसमें बीजेपी की सौम्या गुर्जर महापौर निर्वाचित हुई. जून, 2021 में गुर्जर के कक्ष में निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी यज्ञमित्र सिंह देव के साथ चार पार्षदों ने मारपीट की थी. देव ने गुर्जर पर भी धक्कामुक्की का आरोप लगाते हुए जयपुर के ज्योति नगर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. उन्होंने स्वायत्त शासन विभाग में भी शिकायत की थी. सरकार ने उप शासन सचिव से पूरे प्रकरण की जांच करवाई की जिसमें गुर्जर और चार पार्षदों को दोषी माना गया. गहलोत सरकार ने एक आईएएस अधिकारी से अभद्रता के मामले में सौम्या गुर्जर को मेयर पद से बर्खास्त कर दिया . 23 सितंबर को सौम्या गुर्जर को बर्खास्त कर दिया था. साथ ही 8 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा थी. सरकार के फैसले के खिलाफ सौम्या गुर्जर ने उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिली. इस कारण उप चुनाव करवाया गया. 


शील धाबाई को बनाया था महापौर
सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद राज्य सरकार ने शील धाबाई को कार्यवाहक महापौर बना दिया था. निलंबन के फैसले को सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने निलंबित किए जाने के आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया. इसके बाद में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. आज राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले से माहौल गरमा गया है.


बीजेपी का पलड़ा भारी
निगम में बीजेपी को बहुमत होने के कारण उसके प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है. निगम में बीजेपी के 85, कांग्रेस के 19 और निर्दलीय 12 पार्षद हैं. चार पार्षदों के पद खाली हैं. ऐसे में बीजेपी का पलड़ा भारी दिख रहा है.


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