Ram Mandir Opening: निमंत्रण न मिलने पर भावुक हुए जयपुर के मुस्लिम कारसेवक गुल मोहम्मद, बोले- 'शायद मैं अपनी पार्टी के...'
Ramlala Pran Pratishtha: जयपुर के कारसेवक गुल मोहम्मद मंसूरी 1992 में अयोध्या गए थे. गुल मोहम्मद के राम मंदिर आंदोलन से जुड़ने की वजह से उनके खिलाफ फतवा तक जारी कर दिया गया था.
Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. अब रामलला अपने भव्य राम मंदिर में विराजेंगे. टेंट से लेकर भव्य मंदिर तक पहुंचने में बहुत लोगों ने संघर्ष किया है. इस संघर्ष में राजस्थान (Rajasthan) के जयपुर (Jaipur) के लोगों का भी योगदान रहा है. जयपुर के गुल मोहम्मद मंसूरी उन कुछ मुस्लिम कार सेवकों में से थे, जो 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या गए थे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक,गुल मोहम्मद के राम मंदिर आंदोलन से जुड़ने का असर यह हुआ कि उनके खिलाफ उस समय फतवा तक जारी कर दिया गया था और उन्हें इस्लाम से निष्काषन का सामना करना पड़ा था. वहीं अब 80 वर्षीय मंसूरी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण न मिलने से निराश हैं. जनसंघ के पूर्व नेता और जयपुर की जौहरी बाजार सीट से जनता पार्टी के पूर्व विधायक मंसूरी को 1995 में इस्लाम धर्म में वापस जाने के लिए अपनी पत्नी से दोबारा शादी करनी पड़ी थी.
निमंत्रण न मिलने पर जताया दुख
बता दें वह बीजेपी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कैलाश भट्ट और राज्यसभा सदस्य ललित किशोर चतुर्वेदी के साथ जयपुर से अयोध्या गए थे. वहीं रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण ने मिलने पर मंसूरी ने कहा कि उन्हें दुख है कि राम मंदिर ट्रस्ट ने राजस्थान के मांगणियार गायक पद्मश्री अनवर खान को आमंत्रित किया, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया. मंसूरी ने भावुक होते हुए कहा कि शायद मैं अपनी पार्टी के नए जमाने के नेताओं के लिए बहुत बूढ़ा हो गया हूं. शायद उन्हें मेरे जैसे व्यक्ति को याद रखने में मुश्किल हो रही है. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय की घटनाएं अभी भी मुझे याद हैं कि कैसे कारसेवकों पर हमला किया गया था.
'मुझे जान से मारने की धमकियां मिल रही थी'
मुझे और मेरे साथी कारसेवकों को जयपुर पहुंचने के लिए ट्रेन के डिब्बे के अंदर छिपना पड़ा था. उन्होंने बताया कि उनकी अयोध्या जाने की बात और बाबरी मस्जिद के विध्वंस की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई थी और उनके परिवार में हड़कंप मच गया था. जयपुर लौटने से पहले ही मुझे जान से मारने की धमकियां मिल रही थी. बता दें मंसूरी 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर विधायक चुने गए, जो उस समय कांग्रेस के खिलाफ खड़े गठबंधन का हिस्सा थी. उन्होंने जनसंघ -बीजेपी के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत के साथ काम किया था.
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