राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) में बीमा भवन को लेकर उपजे विवाद पर अब बीमा कर्मचारी सड़क पर उतर गए हैं. वे सरकार के विरोध में हैं और उधर सरकार झुकने के मूड में नहीं है. मामला राजस्थान सरकार (Rajasthan government) और राज्य बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के बीमा भवन का है. बीमा भवन 10 नवंबर 1962 को पीरामल पुत्र चतुर्भुज अग्रवाल से 6 लाख रुपये में खरीदा गया था जिसका भुगतान सरकार द्वारा कर्मचारियों की बीमा निधि से किया गया था.


हेरिटेज भवन है बीमा भवन
बीमा भवन राजकीय भवन नहीं है. भवन में राजस्थान के सभी अधिकारी और कर्मचारियों का स्वामित्व निहित है. भवन में कर्मचारियों की विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वर्तमान में विभाग में 450-500 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं. यह भवन पूरी तरह से मजबूत, हवादार और कर्मचारियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है और इसमें सभी सुविधाएं हैं. 1950 से पहले का निर्मित होने के कारण यह भवन हेरिटेज भवन है. 


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क्यों तोड़ना चाहती है सरकार
वर्तमान में सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 के बजट में इसके निर्माण की घोषणा की गई है. सरकार भवन को तोड़कर बहुमंजिला निर्माण कराना चाहती है जबकि इसमें निर्माण की कोई आवश्यकता नहीं है. बीमा भवन बचाओ संघर्ष समिति पिछले 7 अप्रैल से आंदोलन कर रही है जिसमें 7 अप्रैल से 24 अप्रैल तक काली पट्टी बांधकर एक घंटे कार्य का बहिष्कार किया गया. विभाग में कर्मचारी 25 अप्रैल से आज तक क्रमिक अनशन कर रहे हैं.




समति के सदस्य ने क्या कहा
उधर समिति के सदस्य दीपक भार्गव ने बताया कि आज तक सरकार का कोई सकारात्मक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है. आगे कर्मचारी आंदोलन को उग्र करेंगे जिसमें सीएम हाउस का घेराव भी शामिल है. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि अपनी बजट घोषणा वापस ले और इस हेरिटेज भवन की तोड़फोड़ न की जाए. बीमा कर्मचारियों ने इस मामले में सरकार के ऊपर अबतक सुध नहीं लेने का आरोप लगाया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि बीमा कर्मचारियों और सरकार के बीच कब तक इस मामले में सकारात्मक पहल हो पाएगी.


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