Jaipur Tiger Festival 2024: 29 जुलाई को हर साल अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है. बाघों की घटती संख्या का कारण पता लगाने के साथ उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से इस दिन को मनाया जाता है. इंटरनेशनल टाइगर डे के मद्देनजर दुनियाभर में अनेकों आयोजन हुए.
बाघ संरक्षण की अलख जगाने और वन्यजीव प्रेमियों को बाघों की दुनिया का दीदार कराने के लिए जवाहर कला केन्द्र में अनोखे जयपुर टाइगर फेस्टिवल 2024 (जेटीएफ) का आयोजन किया गया. राजस्थान हेरिटेज, आर्ट एंड कल्चरल फाउंडेशन की ओर से आयोजित चार दिवसीय जेटीएफ के तहत अलंकार गैलरी में देश-दुनिया के वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स की 200 से अधिक फोटो की प्रदर्शनी लगाई गई.
बाघों की वर्चुअल दुनिया हुई साकार
पहली बार बाघों से जुड़े किसी आयोजन में वीआर (वर्चुअल रियलिटी) तकनीक का प्रयोग कर वन्यजीव प्रेमियों को बाघों की दुनिया में भेजा गया. लोगों ने वीआर शो में बाघों की अठखेलियों को देखा और सुखद अनुभव प्राप्त किया. वहीं, एआर (ऑगमेंटेड रियलिटी) तकनीक से तस्वीर पर क्यूआर कोड स्कैन करते ही उसके पीछे की पूरी कहानी एनिमेटेड वर्जन में दर्शकों ने अपने फोन पर हासिल की.
डाक टिकट संग्रह से जिंदा हुई टाइगर की कहानी
फिलाटेलिक सोसाइटी ऑफ राजस्थान के राजेश पहाड़िया ने बताया कि उन्होंने छठी कक्षा से डाक टिकट का संग्रह शुरू किया था. पिछले 20 साल से वो बाघों पर विभिन्न देशों में निकाले गए डाक टिकट, गजट और ऐतिहासिक दस्तावेजों का संग्रह तैयार कर रहे हैं जो जेटीएफ में प्रदर्शित किया गया. यहां भारत, भूटान, चीन, इंडोनेशिया, कोरिया और रूस समेत 30 देशों के डाक टिकट का संग्रह दिखाया गया. इस संग्रह से बाघ की भूमिका, एनाटॉमी, आवास, बाघ के लिए खतरे, मानव जीवन में बाघ का महत्व, पौराणिक कथाओं में बाघ, बाघ से जुड़े व्यापार और संरक्षण की जानकारी दिखाई गई.
जब बीकानेर राजा गंगा सिंह ने ब्रिटेन को लिखा पत्र...
फिलाटेलिक सोसाइटी ऑफ राजस्थान में कई ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिसमें 8 अक्टूबर, 1920 में बीकानेर के तत्कालीन राजा गंगा सिंह की ओर से ब्रिटिश प्रधानमंत्री को लिखा गजट भी है. इसमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री से फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉर्जिस क्लेमेंसो को समझाने का आग्रह किया गया है. दरअसल, जॉर्जिस ने गंगा सिंह से आग्रह किया था कि वो बीकानेर में बाघ का शिकार करना चाहते हैं जबकि, बीकानेर में बाघ का आवास नहीं था. गंगा सिंह खुद बाघ का शिकार करने के लिए भारत के दूसरे स्थानों पर जाया करते थे जिसका जिक्र एक गजट में है जो जेटीएफ में प्रदर्शित की गई. इसके साथ सफेद बाघ किस तरह रीवा मध्य प्रदेश से दुनियाभर में पहुंचा इसका जिक्र भी प्रदर्शित तत्कालीन गजट और डाक टिकट में हैं.
साल 1920 में भरतपुर दरबार की ओर से वन्यजीवों की बिक्री के लिए जारी बिल भी यहां मौजूद है. इसके अलावा साल 1907 इंदौर रियासत की ओर से बाघ शिकार पर प्रतिबंध लगाने का दस्तावेज भी मौजूद है. समाइरा सिंह की ओर से संग्रहित टिकट भी जेटीएफ में पेश किए गए. राजेश पहाड़िया ने बताया कि बाघ कई देशों का राष्ट्रीय पशु है. भारत समेत कई देशों में बाघों का पौराणिक और धार्मिक महत्व है. इसके अनुसार भी डाक टिकट जारी किए गए है. भारतीयों के लिए बाघ आम जीवन का हिस्सा है इसलिए, यहां चुनाव चिन्ह, व्यापार चिन्ह आदि में भी उसका इस्तेमाल किया जाता है.
फेस्टिवल में इन लोगों ने लिया बढ़-चढ़कर हिस्सा
फेस्टिवल में टाइगर टेल्स टॉक सेशन का आयोजन भी किया गया. इसमें 5 बार के प्रेसिडेंट अवॉर्ड विजेता और विश्व विख्यात वाइल्ड लाइफ फिल्म मेकर एस. नल्लामुथु, टाइगर मैन के नाम से प्रसिद्ध दौलत सिंह शक्तावत, महाराष्ट्र ईको टूरिज्म बोर्ड की गर्वनिंग काउंसिल के मेंबर और स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के पूर्व सदस्य सुनील मेहता ने विचार रखे. डॉ. सुदीप्ति अरोड़ा ने सत्र का मॉडरेशन किया. टॉक से पूर्व एस. नल्लामुथु के फिल्माए गए टाइगर एंथम और डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई, जिसे देखकर सभी रोमांचित हो उठे.
टॉक में मुख्यत: टाइगर प्रोजेक्ट के आशाजनक परिणाम, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म से आर्थिक उन्नति, प्राकृतिक संतुलन, रोजगार देने और भारतीय संस्कृति में बाघों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया. प्रदर्शनी में देशभर से वाइल्ड लाइफ लवर्स पहुंचे. मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक, राजस्थान पवन कुमार उपाध्याय, सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के फाउंडर सेक्रेटरी दिनेश दुर्रानी, बगरू विधायक कैलाश वर्मा, नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के जीएम अमिताभ, भाजपा नेता रवि नय्यर समेत अन्य गणमान्यजनों और वाइल्ड लाइफ लवर्स ने हिस्सा लिया.
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