Anemia: महिलाओं में खून की कमी यानी एनीमिया के लिए एसएमएस में 'इंजेक्टेबल आयरन' पर देश का सबसे बड़ा ट्रायल हो रहा है. आयरन की कमी होने पर गर्भवती महिलाओं को अब 100 दिन तक आयरन फोलिक एसिड की गोलियां नहीं खानी पड़ेगी. मात्र एक इंजेक्शन लगाने पर एनीमिया से मुक्ति मिल जाएगी. जयपुर के एसएमएस मेडिकल अस्पताल ने अमेरिका की जेफरसन यूनिवर्सिटी और कर्नाटक के जेएन मेडिकल कॉलेज के साथ इंजेक्टबल आयरन पर देश का सबसे बड़ा ट्रायल शुरू किया है.
'इंजेक्टेबल आयरन' पर देश का सबसे बड़ा ट्रायल
अस्पताल के सीनियर प्रोफेसर और प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर डॉक्टर सुधीर मेहता को इंजेक्टबल श्रेणी में रखते हुए दो अलग-अलग इंजेक्शन लगाए गए हैं. जयपुर के सांगानेर, चाकसू, जमवारामगढ़, बस्सी ब्लॉक के अलावा आमेर सहित अन्य सीएचसी को प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है. डॉ सुधीर मेहता ने बताया कि एसएमएस में 'इंजेक्टेबल आयरन' पर ट्रायल के परिणाम 2024 में सामने आएंगे. उन्होंने महिलाओं के लिए ट्रायल को गेम चेंजर बताया.
दो इंजेक्शन के परिणाम महिलाओं के लिए वरदान
आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में खून की कमी होने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से 100 दिन आयरन की गोली या 3 इंजेक्शन लगाए जाते हैं. तीनों इंजेक्शन के बारे में कई बार रिएक्शन भी होते हैं लेकिन अब आईसीएमआर और डीजीसीए से अप्रव 2 इंजेक्शन के परिणाम बिल्कुल अलग हैं और महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहे हैं. प्रोजेक्ट की फंडिंग सीआईएफ अमेरिकन एजेंसी कर रही है.
दुनिया के सबसे बेहतरीन अमेरिकी डॉक्टर माइकल ऑल बैक महिलाओं में खून की कमी पर रिसर्च कर रहे हैं. दूसरे डॉक्टर माइकल जॉन बच्चों में होने वाली खून की कमी पर रिसर्च का हिस्सा हैं. भारत को एनीमिया मुक्त करने की दिशा में देश का सबसे बड़ा ट्रायल है. ट्रायल को सीएचसी और पीएचसी ग्राउंड लेवल पर किया जा रहा है.
गर्भवती महिलाओं को 9 महीने में प्रसव होने के 40 दिन बाद तक ऑब्जरवेशन में रखा जाता है. एक इंजेक्शन लगाने के बाद गर्भवती महिला का हिमोग्लोबिन 11 हो जाता है. महिलाओं में खून की कमी यानी एनीमिया के लक्षण थकान, कमजोरी, चक्कर आना, जलन, सुस्ती है. गर्भवती महिला और बच्चे विशेष रूप से एनीमिया से प्रभावित होते हैं. आयरन, फोलेट, विटामिन बी-12 व ए की कमी का कारण परजीवी संक्रमण और आनुवंशिक विकार है.
इसका सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है. प्रसव के समय गर्भवती महिला और बच्चे की जान को भी खतरा रहता है. शुरुआती नतीजों में गर्भवती महिलाओं को इंजेक्शन लगाने पर साइड इफेक्ट नहीं हुआ. मेडिकल कॉलेज में 2100 महिलाओं पर ट्रायल किया गया है. अभी तक 7507 गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई. 835 एनीमिक मिलीं.