Jaisalmer Hypoderma Disease: राजस्थान (Rajasthan) में जहां एक और लंपी वायरस (Lumpy Virus) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी ओर जैसलमेर जिले के लाठी वन्यजीव बाहुल्य क्षेत्र में हिरणों में हाइपोडर्मा बोवीस बीमारी तेजी से फैल रही है. वन्यजीव संस्थान के डॉक्टर श्रवणसिंह राठौड़ ने बताया कि क्षेत्र में अब तक 70% हिरण इस बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं. वन्य जीव विशेषज्ञ का कहना है कि यह बीमारी अगस्त माह से शुरू हुई जिनके नवंबर माह तक चलने के आसार हैं. इसमें किसी भी हिरण की मौत होने की संभावना नहीं रहती लेकिन समय रहते हिरण को इलाज मिल जाए तो वह जल्दी स्वस्थ हो सकती है.
विशेषज्ञों ने बताया कि हर वर्ष इस बीमारी का प्रकोप अगस्त से नवंबर माह के बीच ही रहता है. नवंबर माह के बाद यह बीमारी खुद ही ठीक हो जाती है. अभी तक जैसलमेर जिले के लाठी सहित भादरिया, धोलिया, खेतोलाई, गंगाराम की ढाणी सहित आसपास के वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्र में विचरण करने वाले हिरणों में इन दिनों हाइपोडर्मा बोवीस नामक बीमारी फैल रही है. जंगल में विचरण कर रहे लगभग 70% हिरण इस बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं. हिरणों के शरीर पर बड़े-बड़े उभार हो गए हैं.
यह बीमारी चिंकारों में पाई जाती है
वन्य जीव विशेषज्ञ का कहना है कि पहले यह बीमारी चिंकारों में पाई जाती थी. यह बीमारी काले हिरणों में कभी नहीं देखी गई, लेकिन अब काले हिरणों के साथ-साथ सफेद हिरणों में भी देखी जा रही है. हालांकि विभाग के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यह बीमारी इन वन्यजीवों के बीच का जीवन चक्र का एक हिस्सा है यह परजीवी लार्वा है. इस बीमारी के चिंकारों को पकड़कर इलाज किया जा सकता है. हलांकि विभाग का मानना है कि चिंकारों को पकड़कर इलाज करना सुरक्षित और व्यवहारिक नहीं है. ऐसे में 3 माह के बाद खुद ही बीमारी ठीक हो जाती है.
वारबल मक्खी के लार्वा से बीमारी फैली
वन्यजीव प्रेमी बिट्ठल विश्नोई ने बताया कि हिरणों के शरीर में यह बीमारी वार्बल मक्खी के लावे से फैलती है. जब मधुमक्खी पशुओं या हिरणों के शरीर पर अंडे देती है तो यह अंडे से बनने वाले लार्वे फैलती है. यह लार्वा करीब 20 दिनों के बाद व्यूपा फार्म बनकर चिंकारों के शरीर से नीचे गिर जाता है. वैक्सीनेशन के लिए अभी तक विभाग की ओर से कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई.
हाइपोडर्मा बोवीस से जुड़ी बड़ी बातें
वन्यजीव संस्थान के डॉक्टर श्रवणसिंह राठौड़ ने बताया कि इस क्षेत्र के 70 फीसदी चिंकारा बीमारी की चपेट में है. जैसलमेर के लाठी, भादरिया, धोलिया और खेतोलाई के वन्य क्षेत्र में हिरण बड़ी तादाद में विचरण करते हैं. विभाग के मुताबिक इस बीमारी के 3 माह तक फैलने की आशंका रहती है, जिसमे करीब 20 दिन में लार्वा प्यूपा फार्म बनकर गिर जाता है, जिससे बाद हिरण ठीक होने लगते हैं.
Agriculture Scheme: राजस्थान में छात्राओं के लिए खुशखबरी, एग्रीकल्चर पढ़ने पर मिलेंगे 15 हजार रुपये