Jalore Encroachment News: राजस्थान में जालौर में चारागाह (ओरण) भूमि पर बने मकानों को हटाने के लिए पुलिस और प्रशासन पहुंच चुका है. इसको लेकर जालौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि आहोर के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 440 घरों को तोड़ा जा रहा है, जबकि ये परिवार वर्षों से रहते आए हैं. प्रशासन इसके लिए हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दे रहा है. वहीं कांग्रेस सरकार के दौरान प्रभावी पैरवी से इन घरों को बचाया गया था.
वैभव गहलोत ने आगे लिखा, "मेरा मानना है कि प्रभावी पैरवी के अभाव में हाईकोर्ट का फ़ैसला ग्रामीणों के खिलाफ रहा होगा. आज अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान प्रशासन का असंवेदनशील रवैया भी सामने आया. इस संबंध में मैंने जालोर कलेक्टर से भी बात कर निवेदन किया है कि संवेदनशीलता से विचार कर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ इन गरीब लोगों के पक्ष में अपील करें और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इस कार्रवाई को रोक कर आमजन को न्याय दिलाने में मदद करें. मैं भी इस मामले में ग्रामीणों की मदद करने के लिए विधिक राय ले रहा हूं."
हाईकोर्ट में 20 मई को अगली सुनवाई
वैभव गहलोत ने लिखा कि जालोर जिला कलेक्टर से वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के बाद ओडवाड़ा में हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई के संबंध में मैंने वकील से विधिक राय ली है. उन्होंने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट में 20 मई को अगली सुनवाई होनी है जिससे पहले प्रशासन को कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाने की जानकारी हाईकोर्ट को देनी होगी. इसके संबंध में मैंने सुप्रीम कोर्ट के वकील से चर्चा की है एवं पीड़ित परिवारों की ओर से आज ही सुप्रीम कोर्ट में इस कार्रवाई के खिलाफ सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र देना तय किया है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमें आशा है कि सुप्रीम कोर्ट से पीड़ित परिवारों के घर तोड़ने पर जल्द से जल्द स्टे मिलेगा और इन्हें राहत मिल सकेगी. मैं इस संबंध में पीड़ित परिवारों के साथ हूं एवं मेरा पूरा प्रयास है कि उनके साथ न्याय सुनिश्चित हो.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि करीब 3 साल पहले ओडवाड़ा गांव के रहने वाले मुकेश पुत्र मुल्ल सिंह राजपुरोहित और महेन्द्रसिंह पुत्र बाबूसिंह राजपुरोहित के बीच जमीन के बंटवारे को लेकर झगड़ा हुआ था. इन दोनों का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया तो कोर्ट ने जमीन की नपाई का आदेश दिया गया. जब नपाई गई गई तो पता चला कि गांव के करीब 440 मकान चारागाह भूमि पर बने हैं. इसके बाद कोर्ट ने इन्हें हटाने का आदेश दिया तो साल 2022 और 2023 में कुछ कच्चे अतिक्रमणों को हटा भी दिया गया था, इसके साथ ही 150 से ज्यादा कच्चे मकानों और 160 से ज्यादा बाड़ों को चिन्हित कर निशान लगाए थे.
वहीं अब कोर्ट मे 2 मई को तहसीलदार को नोटिस जारी कर 14 मई तक इन मकानों को खाली करने का आदेश दिया था. वहीं अगर 14 मई तक मकान खाली नहीं होते तो 16 मई को मकान तोड़कर सामान जब्त करने के लिए कहा गया था. इसको लेकर पुलिस और प्रशासन की टीमें आज कार्रवाई करने के लिए पहुंची हैं.
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