Janmashtami 2022: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष योगों में करें ये खास उपाय, हर परेशानी होगी दूर
घर के मंदिर में सुबह-सुबह नन्हे बाल गोपाल के सामने माखन और मिश्री का भोग लगाएं और ‘‘ऊँ नमोः भगवतेः वासुदेवायः’’ मंत्र का 21 बार जाप करने के बाद ये प्रसाद ग्रहण करें.
Janmashtami 2022: इस बार श्रीकृष्णजन्माष्टमी गुरुवार 18 अगस्त 2022 को है. इसदिन अष्टमी तिथि रात 9 बजकर 21 मिनट के बाद लग जाएगी और दूसरे दिन रात 11 बजे तक रहेगी. साथ ही वृद्धि योग, धु्रव योग भी है. जन्माष्टमी पर इन योगों में पूजा करने से घर की सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है और मां लक्ष्मी का वास होता है. ये सभी योग पूजा-पाठ के साथ ही किसी बड़े काम की शुरुआत के लिए बहुत शुभ होते हैं.
कभी ग्वाले के रूप में तो कभी एक प्रेमी के रूप में कभी संसार को कभी गीता ज्ञान देते हुए तो कभी मोक्ष प्राप्ति का साधन बताते हुए. कालिया नाग का मर्दन करते हुए तो कभी सुदर्षन उठाकर षिषुपाल का वध करते हुए. न जाने कितनी उपमा उपाधियों भक्ति से सरोबार है श्रीकृष्ण. हम इस धरा पर पीले वस्त्र पहने बांसुरी बजाते हुए बांकपन के साथ खड़े हुए श्रीकष्ण के दर्षन की कामना करते है, लेकिन श्रीकृष्ण ने गीता के दसवें अध्याय में कहा कि मैं इस धरती पर सभी के भीतर स्थित आत्मा हूं. अगर मुझे ज्योति में देखना चाहते है तो मैं असंख्य किरणों वाला सूर्य हूं.
वेदों में देखना चाहते हो तो सामवेद हूं. सारे भूत प्राणियों में मैं चेतना हूं एकादष रूद्रों में शंकर हूं. षिखर वाले पर्वतों में मैं सुमेरू पर्वत हूं. पुरोहितों में बृहस्पति, जलाषयों में समुद्र वचनों में एक अक्षर अर्थात ओमकार हूं. स्तर रहने वालों में हिमालय पर्वत, वृक्षों में पीपल, मुनियों में कपिल मुनि, मनुष्यों में राजा, गिनती करने वालों में समय हूं. पषुओं में सिंह, पक्षियों में गरूड़ हूं, शास्त्रधारियों में राम हूं, मछलियों में मगरमच्छ हूं, नदियों में गंगा हूं, विद्या में आध्यात्म विद्या में हूं. अब आप किस दृष्टि से कृष्ण को देखना चाहते है. आपके सामने है.
विशेष उपाय
घर के मंदिर में सुबह-सुबह नन्हे बाल गोपाल के सामने माखन और मिश्री का भोग लगाएं और ‘‘ऊँ नमोः भगवतेः वासुदेवायः’’ मंत्र का 21 बार जाप करने के बाद ये प्रसाद ग्रहण करें. फिर ये नियम प्रतिदिन दोहराएं वाणी में प्रखरता, व्यक्तित्व में तेज और इमेजिनेशन में कमाल का फर्क दिखाई देने लगेगा.
संतान की कामना के लिए कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सबसे उत्तम है. इस दिन संभव हो तो पति-पत्नी दोनो व्रत का संकल्प लें. रात 12 बजे बालगोपाल की एक छोटी सी मूर्ति को सबसे पहले दूध से, दही से और फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं, स्नान करवाते समय लगातार बोलना हैः- ‘‘नंद के आनन्द भयौ, जय कन्हैया लाल की’’ इसके बाद श्रंृगार कर धनिया मिश्रित सौंठ पंजरी का प्रसाद श्रीकृष्ण को अर्पित करें. संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें.
इसके बाद मुरली मनोहर से प्रार्थना करें कि हे ठाकुर जी! जिस तरह प्रत्येक जन्माष्टमी आप हमारे घर आकर विराजते है उसी तरह मेरे घर आंगन में भी नटखट अंश स्वरूप में आकर विराजे. इस दिन पंचामृत से भगवान का स्नान और पंचामृत ग्रहण करने से कुण्डली में ग्रहों दोष से मुक्ति .ती है. जिसके सेवन से हानिकारक विषाणुओं का नाश होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
अगर किसी भी स्थिति में मन टिकता ही नहीं है. संतोष नामक शब्द का तो अर्थ ही पता है. कभी इसे महसूस नहीं किया. ऐसे ही मेंटल, टेंशन-डिप्रेशन से आपको गुजरने की आवश्यकता नहीं है एक छोटा मंत्र बता रहा हूं उसे इस कृष्ण जन्माष्टमी से नियमित रूप से नित्य-प्रतिदिन पांच बार ‘‘कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने. प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमोः नमः’’ मंत्र का जाप करें. लड्डू गोपाल की विशेष कृपा पाने के लिए श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा.. पितु मातु स्वामी सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा.. मंत्र का श्रद्धानुसार जाप करें.
अपने बिजनेस और नौकरी में तरक्की के लिये जन्माष्टमी के दिन सात कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें खीर खिलाएं. कन्याओं को खिलाने से पहले कन्हैया जी को उसका भोग लगाना न भूलें. साथ ही रात 12 बजे के करीब ऊँ क्लीं नमो भगवते नन्दपुत्राय बालादिवपुषे श्यामलाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा. मंत्र का 108 बार जाप करें.घर में आर्थिक संकट दूर करने के लिए जन्माष्टमी के दिन पूजा के समय 5 मोर पंख श्रीकृष्ण की प्रतिमा के पास रखें और कान्हा के साथ इनका भी पूजन करें. इसके बाद 21 दिनों तक इन्हें पूजा के स्थान पर ही रखा रहने दें और पूजा करते रहें. अब 21वें दिन पूजा के बाद इन्हें तिजोरी में रख दें.
अगर आपके दांपत्य जीवन में झगड़े होते रहते हैं, तो जन्माष्टमी के दिन अपने बेडरूम में पूर्व या उत्तर दिशा में दो मोरपंखों को एक साथ दीवार पर लगाएं. जन्माष्टमी के दिन वास्तुदोष दूर करने के लिए मोर पंख घर लेकर आएं. उसके बाद उसकी पूजा करें और उसे पूर्व दिशा में लगा दें. जन्माष्टमी पर छोटे बच्चों को श्री कृष्ण जी बनाइये. लेक़िन ये बताना मत भूलिये कि बेटा श्रीकृष्ण होना मात्र बाँसुरी बजाना, रास रचाना नहीं है. बल्कि श्रीकृष्ण होना सुदामा का मित्र होना है और गीता का वो कर्मयोगी योगेश्वर होना है. रण को भेदने वाला अभेद योद्धा होना है. जिनके ज्ञान के आगे समूचे संसार का ज्ञान आज भी बौना है.
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