(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Janmashtami 2022: राजस्थान में है देश का एकमात्र मंदिर, जहां जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को देते हैं तोपों से सलामी
विश्व विख्यात श्रीनाथजी मंदिर में हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व अनूठे अंदाज में मनाते हैं. प्रभु के जन्म उत्सव का आनंद लेने के लिए देशभर से भक्त यहां पहुंचते हैं.
Janmashtami 2022: भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) की लीलाएं तो आपने खूब सुनी होंगी. लेकिन यह कभी नहीं सुना होगा कि भगवान को तोपों से सलामी दी जाती है. आज जन्माष्टमी (Janmashtami) के इस खास मौके पर हम आपके लिए एक खास जानकारी लेकर आए हैं जिसे पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे.
श्रीजी के धाम में लगता है जन्माष्टमी मेला
भारत ही नहीं, संपूर्ण संसार में भगवान श्री कृष्ण के कई मंदिर हैं. ठाकुरजी का एक खास मंदिर ऐसा है जहां भगवान श्री कृष्ण की पूजा सात साल के बालक रूप में होती है. यह मंदिर राजस्थान के नाथद्वारा में स्थित है. विश्व विख्यात श्रीनाथजी मंदिर में हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व अनूठे अंदाज में मनाते हैं. प्रभु के जन्म उत्सव का आनंद लेने के लिए देशभर से भक्त यहां पहुंचते हैं. यहां का माहौल ब्रज जैसा दिखाई देता है. जन्माष्टमी की शाम को धूमधाम से भगवान की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है. यह शोभायात्रा रिसाला चौक से शुरू होकर नगर भ्रमण करती है. इसमें श्रीनाथ बैंड, गोविंद पलटन, विभिन्न झांकियां, सुखपाल, भजन मंडली के साथ बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं.
400 साल से निभा रहे अनूठी परंपरा
खास बात है कि यहां कृष्ण जन्म महोत्सव के मौके पर अनूठा आयोजन होता है. यहां जन्माष्टमी पर मध्य रात 12 बजे घड़ी की सुइयों का मिलन होने पर ठाकुरजी को 2 तोपों से 21 बार सलामी देते हैं. रिसाला चौक में करीब चार सौ साल से यह परंपरा निभाई जा रही है. जिन दो तोपों से सलामी दी जाती है उन्हें नर और मादा तोप कहते हैं. इस परंपरा को निभाने के लिए मंदिर समिति व होमगार्ड्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है.
नाथद्वारा में ब्रज जैसी भाषा-संस्कृति
मेवाड़ के मध्य प्रभु श्रीजी की नगरी नाथद्वारा में ब्रज जैसी भाषा-संस्कृति है. यहां के अधिकांश स्थानीय लोग खुद को ब्रजवासी बताते हैं और ब्रजभाषा बोलते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रभु श्रीनाथजी के साथ ही ब्रज के लोग नाथद्वारा आकर बस गए. कई परिवारों की कई पीढ़ियां यहां गुजर गई है. ब्रजवासियों के साथ यहां मेवाड़ के लिए लोग भी बहुतायत में हैं. यहां मेवाड़ी और ब्रजवासी भाषा के साथ ही दो संस्कृतियों का संगम होता है.
यहां मोहल्लों के नाम भी बेहद खास
ब्रज संस्कृति का प्रभाव शहर की बसावट में भी देखने को मिलता है. यहां अधिकाशं मोहल्लों के नाम ब्रज संस्कृति पर आधारित हैं. एक बड़ा मोहल्ला ब्रजपुरा कहलाता है तो दूसरे को द्वारकाधीश की खिड़की कहा जाता है. श्रीनाथ कॉलोनी, बड़ी बाखर, नीम वारी बाखर, गणेश टेकरी व मोदियों की खिड़की नामक इलाके भी हैं. 50 हजार से अधिक आबादी वाले इस शहर में 40 वार्ड हैं.
ये भी पढ़ें
Radha Ashtami 2022: राजस्थान सरकार मनाएगी राधाष्टमी महोत्सव, 4 सितंबर को जयपुर में होगा आयोजन